(पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास की कविताओं में मन के भाव बड़े सही सरल शब्दों में अभिव्यक्त होते हैं लेकिन उसके अर्थ काफी गंभीर होते हैं। वे बड़ी से बड़ी बात सादगी के साथ कह जाते हैं। यहां ऐसी ही उनकी एक कविता पेश है। पाठकों की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा। -संपादक।)
मन की इच्छा
जीवनी लिखने के लिए
स्याही कहां से लाऊं,
जीवन तो है बहती गंगा
मैं कैसे प्यास बुझाऊं,
इतनी छोटी सी बात भी
मैँ कैसे समझ ना पाऊं,
मानव जीवन अनमोल है
कुछ समझकर जाऊं,
ज्ञान के इस भवसागर में
डुबकी कैसे लगाऊं,
मिटने वाली इस दुनिया में
मैं दर्द किसे बताऊं,
अपनी खुशी और पीड़ा की
कहानी लिखना चाहूं,
आने वाली पीढ़ी को कुछ
बात समझाकर जाऊं,
धरती रूपी सुंदर बगिया में
कुछ तो छोड़ के जाऊं,
रिश्तों की लम्बी फेहरिस्त में
मैं अपना किसे बताऊं,
हाथ जोड़कर प्रभु के आगे
नित अपना शीश झुकाऊं।
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