सोहनलाल वैष्णव. बोरुंदा (जोधपुर)
विद्या भारती द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर बोरुंदा के तत्वावधान में संचालित बाबा रामदेव संस्कार केंद्र पर मातृ सम्मेलन में बालक बालिका के सर्वांगीण विकास में अभिभावक का योगदान ” विषय पर मुख्य वक्ता जिला संस्कार केंद्र प्रमुख बुधाराम ठिंगला ने कहा कि मां ही प्रथम गुरु, ममता, वात्सल्य क्षमा और स्नेह का अथाह भंडार व मातृत्व की साक्षात प्रतिमूर्ति है।
मातृ सम्मेलन कार्यक्रम में मां सरस्वती, भारत माता व ॐ की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता बुधाराम ठिंगला व प्रधानाचार्य सत्यनारायण वैष्णव ने किया।
उन्होंने कहा कि श्रेष्ठतम बालक बनने के लिए विद्यार्थियों की नींव बहुत ही मजबूत करें ताकि आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें। बालकों की तुलना अन्य किसी से नहीं करें वे जैसा है वैसा ही कुछ करने दें। हर बालक अपने आप में अमूल्य निधि है उसका भली प्रकार से विकास करें। बालकों को उत्पाद नहीं बनाएं, अनुशासन के साथ समर्पण का भाव बनाएं रखें और अभिभावकों को भी धैर्यवान बनना चाहिए। बच्चा एकाएक आगे नहीं बढ़ता है।
मुख्य वक्ता ने बताया कि अनुशासित विद्यार्थी समाज के प्रत्येक क्षेत्र में निरन्तर आगे बढ़ रहे है। जिसमें आप सभी माता – बहिनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। लव–कुश, ध्रुव,प्रह्लाद, शिवाजी आदि का उदाहरण देते हुए मां अर्थात बालक की प्रथम गुरु, ममता, वात्सल्य क्षमा और स्नेह का अथाह भंडार व मातृत्व की साक्षात प्रति मूर्ति। परिवार ही बालक की प्रथम पाठशाला है और परिवार की धूरी होती है मां। मां ही भगवान, भक्त और महापुरुषों को गढ़ती है। बालक पारिवारिक भविष्य के आधार स्तंभ होने के साथ-साथ राष्ट्रीय उन्नति के भी द्योतक है। राष्ट्र की इस भावी पीढ़ी को संवारने एवं बालक के सर्वांगीण विकास के लिए परिवार की माता–बहिनें अनादि काल से प्रयासरत है। सोशल मीडिया से हमें अपने बच्चों को बचाना चाहिए यह समय के साथ हमारे बच्चों के गुणों का भी लोप कर देता है। मोबाइल के कारण संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवारों ने ले लिया है। इसके चलते बालकों में संस्कार का बीजारोपण नहीं हो पाता है। अंत में केंद्र संचालिका इंदिरा ने सम्मेलन में आए हुए सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापित किया ।
