राइजिंग भास्कर के लिए वरिष्ठ पत्रकार डीके पुरोहित की त्वरित टिप्पणी
(फाइल फोटो)
जोधपुर। जयपुर में सोमवार को आरआईसी में आयोजित समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फिर जुबान फिसल गई। यह जुबान फिसली या वाकई उन्होंने सोच समझकर कहा ठीक वैसे ही जैसे सचिन पायलट काे गद्दार, कोरोना और ना जानेे क्या-कया कह बैठे? वो तो सचिन थे जिन्होंने आपके बड़ेप्पन की लिहाज रखी और एक शब्द नहीं कहा। मुख्यमंत्री गहलोतजी घमंड तो आपको हो गया है। आप यह मानकर चल रहे हो कि एक के बाद एक चालों और राजनीतिक दावों से जैसे अगले विधानसभा चुनाव में राजस्थान की जंग जीत ली है। राजनीति में अंतिम क्षण तक कुछ भी हो सकता है, इसलिए यह मानकर ना चलें कि आपकी सरकार रिपीट हो रही है। रही बात आप द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिद्दी और घमंडी कहना…? दैनिक भास्कर का कभी एक नारा रहा रहा है- जिद्द करो दुनिया बदलो…।
गहलोत साहब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जिद्द कर रहे हैं क्योंकि उन्हें दुनिया बदलनी है। वे घमंडी नहीं हैं। घमंड होना अलग बात है और जिद्दी होना अलग बात है। अगर मान लिया जाए कि मोदी जिद्दी और घमंडी है तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी क्या थी? उनसे बढ़कर तो आजतक कोई जिद्दी और घमंडी हुआ ही नहीं? जिस इंदिरा ने जिद्द या घमंड में आकर इमरजेंसी लगा दी, लोकतंत्र का गला घोंट दिया। उस पर भी तो कुछ बोलो। हम यही नहीं कहते कि इंदिरा गांधी ने अच्छे काम नहीं किए। हम तो यह भी नहीं कहते कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खराब काम किए हैं। प्रधानमंत्री पूरे देश का चेहरा होता है। आप चुने हुए जनप्रतिनिधि के बारे में और लोकतंत्र के मुखिया के बारे में बिना सोचे समझे ऐसा कैसे कह सकते हैं? आपको अपने इस वक्तव्य के लिए देशवासियों से माफी मांगनी चाहिए। अगर आप अपनी बात पर कायम रहते हैं तो देशवासियां को इंदिरा गांधी के जिद्दीपन और घमंडीपन पर भी बयान देना चाहिए।
माना कि आपने पिछले कुछ समय से बजट से लेकर घोषणाओं के पिटारों से राजस्थान की जनता का दिल जीता है। आपने सचिन को भी किनारे कर दिया है यानी उन्हें अघोषित रूप से उनकी औकात दिखा दी है। माफ करना सचिन को हमने धैर्यहीन कहा जरूर था, मगर वे वाकई अब लग रहा है, उनकी पीड़ा वाजिब थी। उनके साथ अन्याय तो हुआ है। वक्त अपनी चाल से बढ़ रहा है। ऊंट किस करवट बदलेगा, अभी कहना जल्दबाजी होगा। राजनीति में किसी को यह मानकर नहीं बैठना चाहिए कि उन्होंने कुर्सी का पट्टा लिखा लिया है। इसलिए मिस्टर गहलोत देशवासियों को साबित करके बताएं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैसे जिद्दी और घमंडी हैं? यहां तो भगवान कृष्ण को भी लोग रणछोड़, चाेर, रसिया, छलिया और ना जाने क्या-क्या कहते रहे। शिशुपाल ने तो उन्हें सौ गालियां दी और अपना सर्वनाश आमंत्रित कर लिया। प्रधानमंत्री मोदी तो खुद साफ-साफ कहते हैं कि देश में उन्होंने प्रतिदिन दो तीन किलो गालियां रोज मिलती है। मगर वाकई मोदी समझदार, धैर्यवान, संयमवान और राजनीति के वो खिलाड़ी है जो विदेशों में रहेंगे तो भी पल-पल देश में राजनीतिक घटनाक्रम क्या मोड़ ले रहा है, उस पर नजर रखते हैं और वक्त आने पर दांव ऐसा चलते हैं कि विरोधी भी पस्त हो जाते हैं।
मिस्टर गहलोत जब तक आप अपनी वाणी पर कंट्रोल नहीं रखोगे तब तक कितने ही बड़े जादूगर हो जाओगे, मदारी भी आपकी सुनेगा नहीं। इसलिए पहले अपनी वाणी पर संयम रखें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिद्दी है, क्योंकि वे दुनिया बदलने निकले हैं। वे घमंडी नहीं हैं। अगर आपकी नजर में वे जिद्दी होने के साथ घमंडी है तो हमारी बात आप डायरी में नोट कर लें कि इंदिरा गांधी से बढ़कर कोई जिद्दी और घमंडी इस देश में पैदा नहीं हुई।
