(फाइल फोटो)
ओम जी. बिस्सा, राइजिंग भास्कर जैसलमेर
पांचवीं और आठवीं बोर्ड के परीक्षा परिणामों में इस बार भयंकर त्रुटियां हैं। साल भर मेहनत कर, परीक्षा देने वाले बच्चे जब अपने परिणाम देखकर समझ नहीं पा रहे, कि उनकी गलती कहां पर है। और इधर जिम्मेदार सरकारी और निजी विद्यार्थियों के साथ न्याय नही कर रहे हैं।
वरना निजी स्कूलों के विद्यार्थियों का परिणाम इतना कमजोर नहीं रहता है। बालक-बालिकाओं के साथ यह भेदभाव अपने देश व प्रदेश के भावी नागरिकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। अधिकारी व नेता सरकारी स्कूलों को सभी सुविधाएं दें इससे हमें कोई शिकायत नहीं हैं मगर शिक्षा का स्तर सुधारने की बात करना भी जरूरी है। लेकिन हो यह रहा है कि अधिकारी और नेता बाल मनोभावों से खेल रहे हैं। उनकी यह ग़लती कैसे सुधरेगी, यह स्पष्ट नजर नहीं आ रही है। इसे जल्दी नहीं सुधारा गया तो इसके परिणाम भयंकर होंगे,
केवल ज्यादा अंक देकर सरकारी विद्यालयों के अच्छे परिणाम का ढिंढोरा पीटने से ही बच्चों का बौद्धिक स्तर नहीं सुधर जाएगा।
बच्चे देश के भावी नागरिक हैं। उनके साथ दोगलापन दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा। सच्चाई सामने लानी हो तो सरकारी अधिकारियों की देखरेख में सरकारी विद्यालयो के विद्यार्थियों का सेंटर सुविधापूर्ण निजी विद्यालयों में देकर देख लिया जाए। ऐसा करने से दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। इतना नही कर सकते तो निजी व सरकारी स्कूलों के बच्चों की परीक्षा कॉपियों की प्रतिलिपि लेने की व्यवस्था ही कर दी जाए। पर निजी व सरकारी स्कूलों की प्रतिस्पर्धामें बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो नही किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया ये बच्चे व इनके अभिभावक इन जिम्मेदारों को कभी माफ नही करेंगे।