भौतिकवादी युग में सुखमय जीवन त्याग कर मुमुक्षु झवेरी विरागरत्न महाराज से लेंगे दीक्षा
आज निकलेगा मुमुक्षु का वरघोड़ा, भक्ति संध्या हुई, मुमुक्षु का सम्मान किया
राखी पुरोहित. जोधपुर
ये हैं मुमुक्षु ऋषि झवेरी। यूएसए में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। करीब सवा करोड़ का पैकेज है। संसाधन और पैसों की कोई कमी नहीं। भौतिक सुखों की भी कोई कमी नहीं। मगर परमात्मा की भक्ति में मन ऐसा रमा कि देह से दीक्षा, शरीर से संन्यास का सफर तय करने जा रहे हैं…। झवेरी का मानना है कि सुखों की कोई सीमा नहीं। असली सुख तो संन्यास में है। अगर भगवान से साक्षात्कार करना है तो गुरु महाराज के बताए कदमों पर चलना होगा। गुरु महाराज के चरणों में ही असली सुख है।
मुम्बई में झवेरी जून माह में विरागरत्न महाराज से दीक्षा ग्रहणकरेंगे। जोधपुर में मुमुक्षु झवेरी का वर्षीदान वरघोड़ा 13 दिसंबर को निकलेगा। दीक्षार्थी ऋषि झवेरी (यूएसए) का गुरुवार को अभिनंदन किया गया और एक शाम- प्रभु के नाम भक्ति संध्या में अमित सिंघवी ने बहाई दीक्षा भजनों की सरिता।
करो रे वंदन प्रभु का…करो रे वंदन प्रभु का….
अमेरिका से जोधपुर आगमन पर दो दिवसीय कार्यक्रम के तहत लखारा बाजार सिंघवी परिवार निवास स्थान पर आयोजित कार्यक्रम में अभिनन्दन किया गया। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ प्रवक्ता धनराज विनायकिया ने बताया कि प्रेमभुवन भानु समुदाय की पावन निश्रा में आचार्य हेमरत्नसूरीश्वर महाराज साहब के आशीर्वाद से विरागरत्न विजय महाराज के पावन सान्निध्य में मुमुक्षु ऋषि झवेरी (यूएसए) की 8 जून 2025 को मुंबई में दीक्षा होगी। गुरुवार को “एक शाम प्रभु के नाम”भक्ति संध्या में भजन सम्राट अमित सिंघवी ने करो रे वंदन प्रभु का… करो रे वंदन प्रभु का…, माने संयम रो मारगियो प्यारो प्यारो लागे,…. संयम पथ पर बढ़ने वाले अपने कुल का नाम दीपाना…..,दीक्षार्थी दीक्षार्थी जाना नहीं हमे भूलके..एक से बढ कर दीक्षा भजनों की सरिता बहाई। साथ ही बहुमान सांसारिक बहन परिवार स्व शिवरतमल सिंघवी, स्व शरद-मृदुला,कविता, भरत-नेहा, अदितवीर सिंघवी परिवार द्बारा किया गया। धनराज विनायकिया ने बताया कि दीक्षार्थी ऋषि झवेरी का 13 दिसम्बर शुकवार को प्रातः 8 बजे से लखारा बाजार से “भव्य वर्षीदान वरघोड़ा “निकाला जाएगा। वरघोड़ा लखारा बाजार सिंघवी परिवार के घर से प्रारंभ होकर कपड़ा बाजार से कटला बाजार,कंदोई बाजार होते हुए त्रिपोलिया बाजार से मोती चौक जाटाबास से रत्नप्रभ क्रिया भवन पर समाप्त होगा तथा तपागच्छ संघ की ओर से दीक्षार्थी का बहुमान पश्चात साधर्मिक भक्ति की जाएगी।