जैसलमेर में युवा साहित्यकारों को प्रोत्साहित करते रहते थे, इतिहास, कला, संस्कृति और पर्यटन पर दर्जनों पुस्तकें लिखीं, अपने निजी प्रयासों से मरु लोक सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना की, राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला, उत्कृष्ट कवि व लेखक के साथ रम्मत के तेजस्वी कलाकार थे, ऐसे व्यक्ति युगों बाद जन्म लेते हैं, राइजिंग भास्कर श्री शर्मा को भाव भीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है
डीके पुरोहित. जैसलमेर
जैसलमेर में एक युग का अवसान हो गया। इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा के निधन का समाचार सुनते ही सहसा विश्वास नहीं हुआ। कुछ दिनों पहले ही वे जोधपुर आए थे तो फोन पर बात हुई थी, मगर मिलना नहीं हो पाया और किसे मालूम था कि अब उनसे कभी मिलना नहीं हो पाएगा। वे युवा साहित्यकारों के हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वे आयोजकों से लड़ झगड़ कर युवा कवियों को मंच उपलब्ध करवाते थे। मेरे संघर्ष के दिनों में वे आयोजकों से झगड़ा कर हमें काव्य मंच उपलब्ध करवाते थे। शिक्षक के रूप में उन्होंने लंबे समय तक राजकीय सेवा की और इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य और पर्यटन पर दर्जनों पुस्तकें लिखी। गड़सीसर तालाब पर उन्होंने सर्वप्रथम कवि तेज लोक कला सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना की। उसके बाद उन्होंने सूचना केंद्र के पास मरु लोक कला सांस्कृतिक संग्रहालय स्थापित किया। एक व्यक्ति के पुरुषार्थ की कहानी उनकी जीवटता खुद कहती है। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त किया। करीब 90 साल की उम्र में भी वे नियमित रूप से संग्रहालय में आते थे। पिछले दिनों जैसलमेर में उनसे मुलाकात हुई तो उनकी शिकायत थी कि जैसलमेर का मीडिया इतिहास की भ्रामक खबरें छापता है। उन्होंने अपनी भावी प्लानिंग पर ढेरों बातें की और बताया कि वे किस तरह की पुस्तकें लिख रहे हैं। उन्होंने इतिहास की पुस्तकों को सप्रमाण लिखा। उनकी पुस्तकें पूरे विश्व में नजीर मानी जाती है। उन्होंने इसके लिए खूब मेहनत की। इतिहास लेखन आसान कार्य नहीं है। उन्होंने शिक्षक कार्यकाल से ही पांडुलिपियों का अध्ययन करना शुरू किया। शिलालेखों का संग्रहण किया। वे गांव-गांव और ढाणी-ढाणी घूमे और इतिहास को सप्रमाण लिखा।
जैसलमेर में नंदकिशोर शर्मा एक ब्रांड नेम थे। अपने अंतिम दिनों में उन्होंने सरकारी कार्यक्रमों से दूरी बना ली थी और खुद को लेखन में पूरी तरह समर्पित कर दिया था। वे अक्सर मुझे फोन करते और ढेरों बातें करते। साथ ही अपने लेखन के बारे में बताते। वे कहते थे कि वे अपने जीवन में वो कार्य कर जाएंगे कि आने वाली पीढियां विश्वास नहीं करेगी। और उन्होंने ऐसा किया भी। एक व्यक्ति अपने जीवन में जितना कर सकता है उससे ज्यादा उन्होंने किया। वे लिखते रहे। अंतिम दिनों तक उनका लेखन जारी रहा। उन्होंने अपने संग्रहालय में पपेट शो का आगाज कर कई कलाकारों को रोजगार दिया वहीं उनके पपेट शो को देखने देश-विदेश के दल लालायित रहते थे। वे खुद अपने पपेट शो का संचालन करते थे। विद्यार्थियों के बीच उनके पपेट शो खूब चर्चित हुए।
जैसलमेर के गांव-ढाणियों की जानकारियां उनके टिप्स पर थी। उन्होंने एक-एक मोहल्ले से लेकर एक-एक गांव-ढाणी पर लेखन किया। अपने संग्रहालय में उन्होंने इतिहास, कला, संस्कृति, साहित्य और पेंटिंग से लेकर पुरा महत्व की हर तरह की सामग्री संग्रहित की। उनका संग्रहालय साहित्यिक व सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा। गणगौर पर्व पर उन्होंने मेहंदी और अन्य प्रतियोगिताएं शुरू की। वे अपने आपमें एक संस्था थे। उनके निधन से एक युग का अवसान हो गया है।
नंदकिशोर शर्मा अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके छोटे भाई विमल शर्मा दैनिक भास्कर में जैसलमेर के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं वहीं इन दिनों डेजर्ट स्टॉर्म नाम से साप्ताहिक न्यूज पेपर और यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। राइजिंग भास्कर परिवार श्री शर्मा को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है और परिवारजनों को यह दुख सहने की भगवान से प्रार्थना करता है।