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Sunday, February 16, 2025, 5:14 pm

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चांदनी चीखती है चीड़ों पर आंच आती है आशियाने से…काव्य संगम में शब्दों की बही त्रिवेणी

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मानसरोवर मीडिया क्लब की गोष्ठी में देशभक्ति-राष्ट्रीय एकता व सद्भाव का फूटा झरना

डीके पुरोहित. जयपुर

गणतन्त्र दिवस पर मानसरोवर मीडिया क्लब के तत्वावधान में प्रतिष्ठित कवियों और व्यंग्यकारों ने ओजस्वी स्वरों से देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव से ओतप्रोत रचनाएं प्रस्तुत की। वरिष्ठ कवि गोविंद माथुर मुख्य अतिथि रहे और ख्यातनाम व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने अध्यक्षता की।

आफरीदी ने गणतन्त्र की स्थापना के बाद आमजन के टूटे सपनों और भुजबल और धनबल के बढ़ते वर्चस्व को लेकर ‘’मैं भ्रष्ट हूँ’’ और मनोज वार्ष्णेय ने इवीएम के खेल पर व्यंग्य रचना सुनाई। वरिष्ठ कवि गोविन्द माथुर ने सामाजिक मूल्यों में आई गिरावट पर अपनी रचना दर्द, प्रेम और श्रद्धा प्रस्तुत की। विशिष्ट अतिथि युवा शायर एमआई ज़ाहिर ने अपनी शानदार ग़ज़ल ‘’चाँदनी चीखती है चीड़ों पर आंच आती है आशियाने से’’ सुनाकर वाहवाही लूटी।

साधो ये जग चंडूखाना…

राघवेंद्र रावत ने किसानों की पीड़ा उद्घाटित करती कविता ‘किसान’, ओमेन्द्र मीना ने साधो जग ये चंडूखाना, डॉ प्रह्लाद गुप्ता ने मेरा देश महान कविता सुनाई। योगेश कानवा ने ‘राजनीति को वारांगना ना बनाइये’ और सुरेन्द्र कुमार शर्मा ने राजनीति पर ‘वही लोग चुने जाएंगे चंबल के डाकू जिन्हें चाहेंगे’ कविता सुनाई । कन्हैया भ्रमर, ओपी चंद्रोदय ने सस्वर कविता पाठ किया। डॉ. राधा गुप्ता और साकार श्रीवास्तव ने देशभक्ति की रचनाएँ सुनाई। डॉ. प्रशांत शर्मा ने बांसुरी पर मधुर स्वर लहरियों से सबका मन मोह लिया। प्रारंभ में क्लब के निदेशक जयदेव शर्मा ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि जयपुर में शीघ्र ही विशाल साहित्य एवं संस्कृति उत्सव का आयोजन किया जाएगा। दो घंटे चले काव्य संगम में बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार, संस्कृतिकर्मी और जनसंपर्ककर्मी मौजूद थे।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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