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विगत 5 फ़रवरी 2025 को एसजीआई गल्फ की ओर से “पोएटिक हार्ट – कनेक्टिंग ह्यूमेनिटी” का कविताओं और संगीत का अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह भव्य कार्यक्रम जबील लेडीज़ क्लब में 300 लोगों की उपस्थिति में संपन्न हुआ, जिसमें 6 भाषाओं हिंदी , अंग्रेजी, पश्तो, अरबी, मलयालम एवं जापानी के कवियों और कवयित्रियों ने भाग लिया जो कि संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, मिश्र, भारत, अफ़ग़ानिस्तान और जापान से आए थे।
रचनाकारों ने अपनी-अपनी भाषा में कविता पाठ किया। आयोजन में इसके साथ गिटार और ऊद (एक अरबी वाद्य) की संगीत प्रस्तुति भी दी गई। एसजीआई.- गल्फ के केबी व्यास ने बताया कि भारत से हिंदी के कवि कमलेश भट्ट कमल ने आयोजन में भागीदारी की, जिन्होंने बहुत उम्दा ग़ज़लें सुनाईं। उनकी ग़ज़ल ‘बेटा’ का विशेष रूप से करतल ध्वनि से स्वागत हुआ । कमलेश भट्ट कमल ग्रेटर नोएडा वेस्ट निवासी हैं और कहानी , हाइकु, ग़ज़ल, निबंध, आलोचना , यात्रा- वृतांत, समीक्षा के साथ -साथ बाल-साहित्य में भी सक्रिय हैं। “पोएटिक हार्ट – कनेक्टिंग ह्यूमेनिटी” कार्यक्रम में कमलेश भट्ट कमल की दो पुस्तकें “अगर जंगल रहेंगे”(ग़ज़ल संग्रह)तथा “बोलो भी नदी” का विमोचन संयुक्त अरब अमीरात के जाने माने कवि शिहाब गानेम के हाथों से हुआ। सौ से अधिक पुस्तकों के रचनाकार 85 वर्षीय शिहाब ग़ानेम को भारत का प्रतिष्ठित टैगोर शांति पुरस्कार मिल चुका है। शिहाब ग़ानेम 1-3 फरवरी को दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में शारजाह पुस्तक प्राधिकरण के प्रतिनिधि के रूप में भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में कविताओं और संगीत का अद्भुत एकाकार होता है और दो बार गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स जीत चुकी सुचेता सतीश ने रवींद्र नाथ टैगोर का गाना – एकला चलो रे, बंग्ला और अरबी में अनुवाद कर के गाया।
एसजीआई गल्फ के सामूहिक ग्रुप ‘नसीम’ जो कि 2014 में बना था और अभी जिसमें 27 सदस्य हैं, ने भी अपनी प्रस्तुति शांति, सामंजस्य और सौहार्द के लिए समर्पित की। इसके अलावा पोएटिक हार्ट-कनेक्टिंग ह्यूमेनिटी में पहली बार अगले दिन छात्रों द्वारा प्रस्तुत कविताओं को संकलित कर के ई- बुक “द ल्यूमिनरीस ऑफ़ वर्स” का विमोचन भी किया गया।
