राखी पुरोहित. बीकानेर
राष्ट्रीय कवि चौपाल की 512वीं कड़ी आराधना को समर्पित रही.. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सरदार अली पड़िहार ने की जबकि मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. जितेंद्र श्रीमाली एवं मधुरिमा सिंह मंच पर शोभित हुए। मां सरस्वती की आराधना से इस कार्यक्रम का शुभारम्भ रामेश्वर साधक ने किया। इस विशेष साहित्य सभा में क़ासिम बीकानेरी ने झूमकर बरसा है सावन आपके आने के बा’द/रक़्स करता झूमकर मन, आपके आने के बा’द ग़ज़ल के शे’र सुनकर माहौल को ख़ुशनुमा कर दिया। डॉ. जितेंद्र श्रीमाली ने “रंगों के मनहर मेले, चले गये छोड़ अकेले…” मधुरिमा सिंह ने शहर की चकाचौंध में छोड़ आए, अपना प्यारा गांव .. सरदार अली पड़िहार ने किताब छपे, बाद में छपे लेखन अनवरत चलता रहे..बाबू बमचकरी ने पड़ोसन जबरी आई सुनवाड़ गली रौनक लाई रे हास्य रचना सुनाकर साहित्य सभा को ऊंचाईयां प्रदान की।
शायर सागर सिद्दीक़ी ने मुक़द्दर आज़मा कर देखते हैं तुम्हें अपना बना कर देखते हैं .. हनुमंत गौड़ ‘नज़ीर’ ने मासुम सी कलियों के पर किसने उड़ा डाले … इसरार हसन कादरी ने आओ भीड़ में सबसे अलग दिखने का… लीलाधर सोनी ने ओ कैडो़ धुंधकार देश में छायो है ..डॉ कृष्ण लाल विश्नोई ने बख्त चालतो रैयो, म्हें साथै चालतो रैयो राजस्थानी भाषा की रचना ने वाह वाह बटोरी
रामेश्वर साधक ने ओह संसारी दिन में कई कई बार मरता है .. राजकुमार ग्रोवर ने सर झुकाएं बैठे हैं पांडव भीष्म विदूर द्रोण ऐसे में द्रोपदी की लाज बचाएं कोन …. सिराजुद्दीन भुट्टा ने आंखियां री शरम, आपरो धर्म, मां जायो भाई, पतिव्रता लुगाई.. ढूंढता रे जावोला…. शमीम अहमद ने इस बीकानेर की आन बान और शान है ये उड़ती पतंग …. पवन चड्ढ़ा और राजू लखोटिया ने अपनी शानदार प्रस्तुति से सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। आज़ की त्रिभाषा सरस्वती सभा में कृष्ण गौड, परमेश्वर सोनी, नत्थू, नेमीचंद पंवार आदि कई गणमान्य साहित्यानुरागी उपस्थित रहे। आज के कार्यक्रम का संचालन रामेश्वर साधक ने किया।
