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Thursday, September 12, 2024, 3:06 pm

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जोधपुर के नए पुलिस कमिश्नर के सामने कई चुनौतियां है, बगैर राजनीतिक दबाव कितना कर पाते हैं उसी में उनकी सफलता निहित है

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आईपीएस बनने के लिए जितना दिमाग खपाना पड़ता है, शायद उतना दिमाग किसी भी परीक्षा में नहीं होता, मगर जब आईपीएस अफसर तैनात होता है तो राजनीतिक दबाव आईपीएस की सब हैकड़ी निकाल देती है, ऐसे में पुलिस कमिश्नर राजेंद्रसिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिना राजनीतिक दबाव में काम करने की है

अब अपराधी पुलिस से सौ कदम आगे हो गए हैं, पुलिस के पास भी होनहार युवा आ रहे हैं, मगर अभी पुलिस को और मजबूत करने की जरूरत है। पुलिस को बुजुर्ग और निठल्ले हो चुके अफसरों और कार्मिकों को लाइन में भेजकर थानों में युवाओं और काम के अफसरों को बिठाना होगा। इसकी पहचान उन्हें खुद करनी होगी। अपराधियों तक पहुंचने से पहले ही अपराधियों तक पुलिस कार्रवाई की सूचना पहुंच जाती है, ऐसे में घर के भेदियों को पहचानकर भगाना होगा।

महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों पर त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है। कई मामलों में पुलिस एफआईआर तक दर्ज नहीं करती। सीपी को सभी थानों के थानाधिकारियों को कसना होगा। पुलिस में अगर महिलाओं की सुनवाई नहीं होगी तो हमारी नारी सम्मान की सारी बातें नेताओं के भाषणों से अधिक कुछ नहीं होगी।  

डीके पुरोहित. जोधपुर

जोधपुर के नए पुलिस कमिश्नर राजेंद्रसिंह का जहां हम स्वागत कर रहे हैं वहीं बताना चाहेंगे कि जोधपुर में उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हुआ है। बंद मकानों में चोरियों से लेकर ट्रैफिक गश्त में पुलिस फेल साबित होती रही है। यहां हम सिलसिलेवार कुछ बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जिस पर पुलिस आयुक्त को ध्यान देने की जरूरत है।

स्कूली बालिकाओं से छेड़छाड़, रैप, गैंगरेप और लज्जा भंग करने के मामलों में त्वरित कार्रवाई

सबसे पहले इस बिंदु पर बात करेंगे। सीएपी के सामने यहीं से बगैर राजनीतिक दबाव काम करने की चुनौती है। यहां के क्लबों में पुलिस के अधिकारी खुद शामिल है और इन क्लबों में होने वाली अनैतिक गतिविधियों पर एक्शन नहीं होता। सूचना के अधिकार के तहत वर्षों से कार्य करने वाले नंदलाल व्यास ने एक क्लब का मामला उठाया तो पुलिस ने उन्हें ही कटघरे में खड़ा किया। व्यास से संबंधित मामला अभी खत्म नहीं हुआ है। नंदलाल व्यास ने इस क्लब में पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत और फ्री में सेवाओं का लाभ उठाने का आरोप लगाया था। वहीं इसी  क्लब में नाबालिग को लेकर कुछ अधिकारियों पर पॉक्सों का मामला दर्ज हुआ था, मगर पुलिस की भूमिका संदिग्ध ही रही है। यही नहीं शहर में छेड़छाड़, गैंगरेप, रेप की घटनाएं पिछले छह-सात महीनों में बढ़ गई है। रास्ता रोककर लज्जा भंग करना, छेड़छाड़ करना, मजनू टाइप के छोरों की आवारागर्दी और कई ऐसे मसले हैं, जिन पर पुलिस कमिश्नर को कार्ययोजना बनाकर सख्त रवैया अपनाना होगा। कई बार रैप के मामलों में पुलिस एफआईआर कमजोर बनाती है, जिससे आगे जाकर आरोपियों को जमानत मिल जाती है और पीड़ित के साथ न्याय नहीं होता। ऐसे में पुलिस कमिश्नर को मामलों की गंभीरता को समझना होगा। चाहे कितने ही बड़े लोग हो, कितनी ही पहुंच वाले हो चाहे जिन पर राजनीतिक हाथ हो, सबको न्याय दिलाने की पहल करनी होगी। तभी उनका आईपीएस होना सार्थक होगा। वर्ना भीड़ में कई आईपीएस आते हैं और चले जाते हैं, याद वही किए जाते हैं जो अपना रास्ता खुद बनाते हैं।

बाइक सवार बदमाशों द्वारा मोबाइल और पर्स लूट की घटनाएं

अब यह नया मुद्दा नहीं रहा। मगर पुलिस हर बार की तरह नाकामयाब ही रहती आई है। ऐसे में जबकि जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। थाने हाईटेक हो रहे हैं। अभय कमांड सेंटर से कैमरों की मॉनिटरिंग होती है। शहर पर नजर रखी जाती है, फिर भी उसके आसपास ही मोबाइल लूट की घटनाएं हो जाती है। पिछले दो-तीन साल में ही 200 से अधिक वारदातें हो चुकी है। यह आंकड़ा अनुमानित है, मगर इससे ज्यादा ही वारदातें हुई है। अखबारों में हर दूसरे-तीसरे दिन मोबाइल लूट की खबरें छपती है। मगर पुलिस लाचार बनी रहती है।

साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन ठगी के नए-नए पैंतरे, पुलिस को अपडेट करने की जरूरत 

शहर में साइबर फ्रॉड बढ़ रहा है। ऑनलाइन ठगी की घटनाएं भी खूब हुई है। कई बार तो पुलिस थानों में मुकदमे ही दर्ज नहीं हाेते। जोधपुर में साइबर क्राइम के विशेषज्ञों का भी अभाव है। कभी कभार ही राशि रिफंड हो पाती है। अधिकतर मामले तो पुलिस दर्ज ही नहीं करती। फिर पीड़तों को कोर्ट की शरण लेनी पड़ती है, तब जाकर कहीं मामले दर्ज होते हैं। ऑनलाइन ठगी के भी ठगों ने नए-नए रास्ते निकाल लिए  हैं। नए पुलिस कमिश्नर को ऐसे विशेषज्ञों को बढ़ावा देना होगा जो साबइर क्राइम को पकड़ने में एक्सपर्ट हो। वे चाहें तो शहर के युवाओं का उपयोग लेकर इनोवेशन कर सकते हैं। हो सकता है पुलिस बेड़े में मोबाइल और कंप्यूटर के जानकार कम हो, मगर शहर में कई ऐसे युवा हैं, जिनका दिमाग बहुत तेजी से चलता है। ऐसे युवाओं की पहचान कर उनकी मदद से साइबर अपराधियों तक पुलिस पहुंच सकती है। बस पुलिस को अपडेट होने की जरूरत है।

पुलिस बेड़े में आधुनिक हथियार, मजबूत संसाधन और आधुनिक वाहनों की जरूरत

कई बार आपराधिक मामलों में अपराधियों के पास आधुनिक वाहन और आधुनिक हथियार होते हैं। शहर में जितनी भी गैंगवार की घटनाएं हुई है। इनमें लूट की घटनाएं भी शामिल है। पुलिस लाचार बनी रही। पुलिस के पास वही घिसे पिटे वाहन रहे। जबकि अपराधियों के पास आधुनिक वाहन होते हैं और आधुनिक हथियार होते हैं, जिससे वे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ते। साल भर पहले चोरी की एक घटना रोकने के लिए कांस्टेबल के पास केवल लाठी थी और चोर उसे घायल कर चले गए और कांस्टेबल कुछ नहीं कर पाया। क्या आज भी लाठी से अपराध रोके जाएंगे। जहां तक रात्रि गश्त का सवाल है तो वह तो व्यवस्था ठप ही है। पुलिस की गाड़ियां किन-किन इलाकों में गश्त करती है, भगवान ही जानें। रात को गाडियां इक्का-दुक्का ही नजर आती है। चोरियां खूब हो रही है। पिछले छह महीनों में ही 200 से अधिक चोरियां हो चुकी है। यह आंकड़ा बढ़ा हुआ भी हो सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पुलिस गश्त करती है तो फिर चोरियां कैसे हो रही है? यही चुनौती नए सीपी के सामने हैं। आदमी एक-एक पैसा जोड़कर पूंजी बनाता है और चोर एक झटके में सारे जेवर और नकदी लूट ले जाते हैं। ऐसी वारदातों ने शहरवासियों को झकझोर कर रख दिया है। पुलिस की बैचारगी इससे अधिक क्या होगी कि एफआईआर भी दर्ज कई दिनों तक नहीं करती। अब नए सीपी को इन मसलों पर ध्यान देना होगा।

ट्रैफिक चालान काटने की हड़बड़ी में कई कार्मिक घायल हो चुके, तरीका बदलना होगा

पिछले कई दिनों से ऐसी घटनाएं भी सामने आई है कि ट्रैफिक पुलिस के कार्मिक चालान काटने की हड़बड़ी में गाडियों का पीछा करते हैं। गाडियों के फाटक पकड़कर लटक जाते हैं या बोनट पर बैठ जाते हैं। इससे उन्हें वाहन चालक कई दूर तक घसीट कर ले जाते हैं और उनकी जान पर बन आती है। ऐसे में सवाल उठता है कि जान की जौखिम पर चालान काटना जरूरी है? और चालान काटना ही क्यों, आजकल तो सोशल मीडिया पर ट्रैफिक पुलिस के कई वीडियो आते हैं जिसमें वे नया इनोवेशन करते दिखते हैं और चालान करने की बजाय युवाओं को समझाते हैं। ऐसे इनोवेशन जोधपुर में भी हो सकते हैं। मगर आकाओं को शायद टार्गेट दिए जाते हैं कि तुम्हें छह महीने में साल भर इतने लाख के चालान तो बनाने ही है। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ट्रैफिक पुलिस मजबूरी में ही सही मजबूर लोगों के भी चालान काट देती है। ऐसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। खासकर अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रैफिक पुलिस को चालान न करने के आदेश देने की जरूरत है। पुलिस कमिश्नर पुलिस का मुखिया होने के नाते उन्हें ऐसे सख्त कदम उठाने ही होंगे।

गैंगवार खत्म करना सबसे बड़ी चुनौती, युवाओं को अपराध की राह पर जोन से रोकना होगा

शहर में कई गैंगवार सक्रिय है। युवाओं को धन और शानो शौकत का लालच देकर अपनी गैंग में शामिल कर लिया जाता है और फिर उनसे अनैतिक और आपराधिक काम करवाए जाते हैं। ऐसे में गैंगवार खत्म कर खास कर युवाओं को अपराध की राह पर जाने से रोकना होगा। इसके लिए ऐसे अपराधी युवा जो हाल ही में जेल में आए हैं, उन्हें सेमिनार और गोष्ठियां और प्रेरक कार्यक्रम आयोजित कर आगे भविष्य में अपराध की राह नहीं पकड़ने के लिए समझाना होगा। शहर में कई गैंगवार सक्रिय है। कुछ गैंग तो पूरे देश में चर्चित हो रखी है। पुलिस से भी ज्यादा चतुर दिमाग इन गैंगवार लोगों का है। ऐसे में आईपीएस जैसी टफ परीक्षा पास कर अधिकारी बनने वालों को अब अपना चतुर दिमाग भी लगाना पड़ेगा। पुलिस बेड़े में ही कई भष्मासुर और भेदिए होते हैं जो अपराधियों को पहले से ही सूचना दे देते हैं। ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी। अभी नए सीपी के सामने कई चुनौतियां है। देखना यह है कि वे राजनीतिक दबाव में कितना आते हैं और जनता के हित में कितना काम करते हैं।

चेन स्नेचिंग की वारदातों को भी रोकना होगा

जिस तरह मोबाइल लूट की घटनाएं हो रही है, उसी तरह महिलाओं और वृद्ध महिलाओं के साथ चेन स्नेचिंग की घटनाएं हो रही है। कई युवतियों के साथ भी वारदातें हो चुकी है। पुलिस रिपोर्ट लिख देती है और अखबारों में एक लाइन आ जाती है कि पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है। ये पड़ताल कभी खत्म ही नहीं होती। अपराधी पकड़े ही नहीं जाते। 200 वारदातें होती है तब दो वारदातों का खुलासा हाेता है। यह सिलसिला अब खत्म होना चाहिए। चेन स्नेचिंग की घटनाएं अक्सर दिन दहाड़े भी हो रही है। बाइक सवार इतनी तेजी से आते हैं और झपटा मारकर चेन छीन ले जाते हैं। सबसे पहले तो बाइक तेज चलाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कई बार तो बाइक सवार आधुनिक बाइक पर इतनी तेजी से भागते हैं कि एक्सीडेंट का डर बना रहता है। ऐसे ही शातिर बाइक सवार युवा अपराध करते हैं। इसलिए सबसे पहले तेजी से भगाने वाले ऐसे बाइक सवारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

नकल रोकने का मैकेनिज्म बनाना होगा, शहर में भी नकलें हो चुकी है

शहर में भी कई परीक्षाओं में नकलें हो चुकी है। असली परीक्षार्थी की जगह डमी कैंडिडेट बैठकर परीक्षा दे चुके हैं। अब पुलिस को अपना मैकेनिज्म बनाना होगा। यह काम आईपीएस का दिमाग ही कर सकता है। अगर आईपीएस का दिमाग नहीं चले तो युवाओं से गाेपनीय ढंग से आइडिया मंगाकर काम किया जा सकता है। आज के युवाओं के पास खासा दिमाग है। बस उन्हें उचित प्लेटफॉर्म नहीं मिलता। ऐसे युवाओं को पुलिस द्वारा सम्मानित करने की जरूरत है। नकल रोकने में अब नए-नए तरीके अपनाने होंगे। तभी नकल पर नकैल कसी जा सकेगी।

नशीले पदार्थों की तस्करी रुक नहीं रही, पुलिस हर बार हो रही नाकाम, ट्रांसपोर्ट नगर बना तस्करी का हब

शहर में अफीम, गांजा, चरस और कई तरह के नशीले पदार्थों की तस्करी जारी है। तस्करों ने नए-नए रास्ते निकाल लिए हैं। ट्रांसपोर्ट नगर तो नशीले पदार्थों की तस्करी का गढ़ बन गया है। यह काम पुलिस की मिलीभगत से हो रहा है। रोज रात को ट्रकों और ट्रोलों में तस्करी हो रही है। पुलिस उधर गश्त ही नहीं करती है। कई मामलों में तो पुलिस खुद एस्कॉर्ट कर तस्करी करवाती है। तस्करी के इस काम में पुलिस के आला अधिकारी भी शामिल है। पाली रोड पर रोज रात को वाहनों में तस्करी हो रही है। यहां से भगत की कोठी पुलिस थाना नजदीक है, अफसोस तस्करी का सामान नहीं पकड़ा जाता। ट्रांसपोर्ट नगर में ही रोज के 100 पुलिसकर्मी खुफिया वेश में तैनात कर दिए जाए और योग्य पुलिसकर्मियों को लगाया जाए तो पता चलेगा कि ट्रांसपोर्ट नगर कितना बड़ा तस्करी का हब बन चुका है।

 

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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