-विदेशों से इंडिया गठबंधन, अन्य विपक्षी पार्टियों और दबाव समूहों के बीच पानी की तरह पैसा बहाया गया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चाणक्य नीति से पूरी कायनात से संघर्ष किया और एनडीए को मिला बहुमत
-अमेरिका के एलन मस्क ने 18 हजार करोड़ डॉलर, जेब बेजोस ने 800 करोड़ डॉलर, लैरी एलिसन ने 665 करोड़ डॉलर, चीन के झोंग शानशान ने 365 करोड़ डॉलर, झांग चिमिंग ने 262 करोड़ डॉलर, कोलिन हुआंग ने 212 करोड़ डॉलर और मा हुआतेंग ने 195 करोड़ डॉलर, यूरोप के फॉस्टो बोनी ने 300 करोड़ डॉलर, फ्रांकोइस टसन ने 262 करोड़ डॉलर, एलेक्जेंडर मोर्दक ने 197 करोड़ डॉलर से अधिक की धन राशि भारत की कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, डीएमके और राजद आप सहित कई छोटी मोटी पार्टियों, समर्थकों और दबाव समूहों के लिए बहाई।
ओम गौड़ की वाशिंगटन से विशेष रिपोर्ट
इस समय की सबसे बड़ी खबर हम आपको बता रहे हैँ। भारत के 2024 के लोकसभा चुनाव से छह महीने से साल भर पहले से ही विदेशी फंडिंग के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री रोकने की कवायद शुरू हो चुकी थी। अमेरिका, चीन और यूरोप के धनकुबेरों ने भारत की विपक्षी पार्टियों, समर्थकों और दबाव समूहों के बीच पानी की तरह पैसा बहाया। उनका एक ही मकसद था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकना। रिपोर्ट है कि 50 हजार करोड़ डॉलर से अधिक राशि विभिन्न माध्यम से भारत में फेंकी गई। इस राशि का उपयोग भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली विपक्षी पार्टियों तक चुनाव प्रचार, वोटर्स को लालच देने, तुष्टिकरण और भाजपा को वोट नहीं देने या घर से वोट देने नहीं जाने के लिए किया गया।
अमेरिका के एलन मस्क ने 18 हजार करोड़ डॉलर, जेब बेजोस ने 800 करोड़ डॉलर, लैरी एलिसन ने 665 करोड़ डॉलर, चीन के झोंग शानशान ने 365 करोड़ डॉलर, झांग चिमिंग ने 262 करोड़ डॉलर, कोलिन हुआंग ने 212 करोड़ डॉलर और मा हुआतेंग ने 195 करोड़ डॉलर, यूरोप के फॉस्टो बोनी ने 300 करोड़ डॉलर, फ्रांकोइस टसन ने 262 करोड़ डॉलर, एलेक्जेंडर मोर्दक ने 197 करोड़ डॉलर से अधिक राशि भारत की कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आप, सपा, डीएमके और राजद आप सहित कई छोटी मोटी पार्टियों, समर्थकों और दबाव समूहों के बीच बहाई। यही नहीं इस राशि से मोदी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की गई, मगर तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद नरेंद्र मोदी का विजयी सफर सुस्त जरूर पड़ा मगर रुका नहीं।
रूस ने भी कहा था अमेरिका कर रहा है भारत के चुनाव में हस्तक्षेप
चुनाव के दौरान रूस ने भी आरोप लगाया था कि अमेरिका की नजर भारत के चुनाव पर है और वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। अमेरिका, चीन और यूरोप की नजर पहले से ही भारत को कमजोर करने पर रही है। ऐसे में जब दस साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सत्ता संभाली तो सारे दांव दुनिया के उलटे पड़ गए थे।
भारत में चुनाव परिणाम को विदेशी पूंजीपतियों ने प्रभावित किया
हालांकि मोदी को आंधी की तरह प्रचंड बहुमत नहीं मिला। लेकिन विदेशी पूंजीपतियों ने मोदी की राह में मुश्किलें खड़ी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोदी इस बात को समझ चुके थे और उन्होंने अपनी चाणक्य नीति से कई पार्टियों को मिलने वाली राशि पर नजर रखी और कांग्रेस के खाते तक फ्रीज किए। मगर इससे पहले ही विपक्षी पार्टियों तक पैसा पहुंच चुका था। इंडिया गठबंधन की नींव के पीछे भी विदेशी ताकतें बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन की नींव के विचार ने अमेरिका में जन्म लिया था।
