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Sunday, April 20, 2025, 9:00 am

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मी लॉर्ड! जोधपुर में नालों में बहकर अब तक 6 लोग मर गए, जिम्मेदारों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाओ, सरकार-प्रशासन ने बेशर्मी ओढ़ रखी है, न्याय की लाज रखिए

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राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव के नाम राइजिंग भास्कर डॉट कॉम के ग्रुप एडिटर डीके पुरोहित का खुला पत्र

आदरणीय श्रीवास्तव साहब,

जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तब भी हिन्दुस्तान में ही नहीं दुनिया भर में न्याय का एक दरवाजा खुला रहता है। हिन्दुस्तान में न्याय का सिद्धांत है न्याय होना ही नहीं न्याय होता दिखना भी चाहिए। मगर सीजे साहब आज आपकी अदालत में हम जो मुकदमा लेकर आए हैं उसमें सिर्फ आप ही न्याय कर सकते हैं। पिछले 16 सालों में जोधपुर में ड्रेनेज सिस्टम की बदहाली और जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते 6 निर्दोष लोग नालों में बह कर मर गए। सभ्य समाज में यह मौतें आप किस रूप में लेंगे मैं यह तो नहीं जानता मगर एक पत्रकार के रूप में मैं बड़ा व्यथित हूं। धिक्कार है ऐसी सरकारों को और धिक्कार है ऐसे कलेक्टरों और नगर निगम और जेडीए के जिम्मेदार अफसरों को जो अपने शहरवासियों को जीने का अधिकार भी सुरक्षित नहीं रख सके। आज जो हम इस पत्र के साथ जो पूरी खबर आपको बताने जा रहे हैं उसमें जो वीडियो आप देखेंगे उसके बाद आप निर्णय लें कि डेढ इंच बारिश में अगर किसी जोधपुर जैसे शहर के ऐसे हाल हों जहां खुद न्याय की राजधानी विराजमान हो और महानगर हो और जहां जयनारायण व्यास, बरकतुल्लाह खान और अशोक गहलोत जैसे लोग मुख्यमंत्री रह चुके हों। फिर इन सरकारों ने क्या किया इस शहर के लिए। आजादी के 77 सालों में जोधपुर का अगर कोई सरकार ड्रेनेज सिस्टम नहीं सुधार पाई तो ऐसी सरकारों और ऐसे जिम्मेदार कलेक्टरों को पद पर रहने का कोई हक नहीं है।

सीजे साहब आप न्याय के आसन पर बैठे हैं। आप अनुभवी है। आप संवेदनशील है। आप विवेकशील है। आप तर्कशील है। आप जब निर्णय करते हैं तो तमाम परिस्थितियों का आकलन करते हैं। आज हम आपकी अदालत में इन 6 लोगों की मौत के लिए न्याय मांग रहे हैं। ये मौतें कहकर हम उनका अपमान कर रहे हैं। दरअसल ये 6 हत्याएं हैं। हां सीजे साहब 6 हत्याएं हैं। इन 6 हत्याओं का दोषी यह पूरा सिस्टम है। वे ठेकेदार हैं। वे इंजीनियर हैं। वे कलेक्टर हैं। वे आईएएस और आरएएस अफसर हैं जो नगर निगम और जेडीए की व्यवस्थाएं देखते हैं। साथ ही दोषी हैं सरकारें। दोषी है इस शहर का नगरीय प्लान बनाने वाले अफसर। शहर का पिछले 77 सालों में विकास हुआ। मगर बारिश के पानी की निकासी की आज तक उचित व्यवस्था नहीं हुई। माना कि आजादी के बाद विकास हुआ। ड्रेनेज सिस्टम पर अरबों रुपए खर्च हुए होंगे। मगर जिस शहर में आज भी मामूली बारिश में नाले में प्रोफेसर बह जाता हो। पूर्व सैनिक बह जाता हो। मां बेटी बह जाते हो। मासूम बह जाता हो। युवक बह जाता हो। तब सीजे साहब सोचना पड़ेगा कि कहीं न कहीं हमारे जिम्मेदारों की लापरवाही इस व्यवस्था में दोषी रही है।

सीजे साहब शहर का मथुरादास माथुर अस्पताल वर्षों से पानी भराव की समस्या से ग्रस्त है। पिछले तीस-चालीस सालों में हम यहां स्थाई समाधान नहीं करवा पाए। इस क्षेत्र में धर्मशाला में कुछ साल पहले बारिश में पानी घुस आने से रुके हुए दंपती की मौत हो जाती है। हम कुछ नहीं कर पाते। इन हादसों से भी हमने सबक नहीं लिए। इस रिपोर्ट के साथ आप एमडीएमएच के पानी भराव के वीडियो भी आपको दिखा रहे हैं जिनका आप अवलोकन कीजिए और सीजे साहब आप निर्णय कीजिए यह महानगर जोधपुर है। यह मुख्यमंत्रियों के गृहनगर का हाल बयां करता क्षेत्र है जहां अस्पताल के आसपास इतना पानी जमा हो जाता है और आज तक स्थाई समाधान नहीं हो पाया। क्या हम हर साल हादसों का इंतजार करते रहेंगे। अगर सरकार और प्रशासन अस्पताल को डूब क्षेत्र से नहीं बचा सकता तो अस्पताल ही यहां से हटा दें और किसी सुरक्षित स्थान पर नया बना दें। अगर आप शास्त्री नगर से मथुरादास माथुर अस्पताल हटाकर दूसरी जगह नहीं बसा सकते तो कम से कम इस क्षेत्र को स्थाई रूप से पानी भराव की समस्या से निजात दिलाइए। आपके पास आज टेक्नोलॉजी का युग है। आपके पास आईएएएस की बड़ी-बड़ी फौज है। आपके पास इंजीनियरों का खजाना है। हर क्षेत्र में हमने तरक्की की है। बजट की कमी नहीं है। फिर ऐसा क्या है कि वर्षों से मथुरादास माथुर अस्पताल को पानी भराव की समस्या से मुक्त नहीं करवा पाए। सीजे साहब डूब मरने वाली बात है इस शहर के उन निवासियों के लिए जो राजस्थान के कई बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अशोक गहलोत तो तीन तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे और इस समस्या का समाधान भी नहीं करवा पाए। सीजे साहब आप कलेक्टरों से न्याय की उम्मीद क्या करेंगे खुद कलेक्ट्रेट में डेढ़ इंच बारिश में दो-दो फीट पानी भर जाता है। पुराने हाईकोर्ट रोड पर पानी भर जाता है। पावटा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। हाउसिंग बोर्ड पानी से तर हो जाता है। पाल रोड, रातानाडा, प्रतापनगर, जालोरी गेट, भगत की कोठी और तमाम इलाके आज भी पानी की भराव की समस्या से ग्रस्त हैं। हम विभिन्न पानी के खतरे वाले वीडियो भी शेयर कर रहे हैं। शहर के नाले आज भी खतरे के बायस बने हुए हैं। एक अखबार ने हाल ही में नालों पर सीरीज चलाई थी और नगर निगम और जेडीए के जिम्मेदारों को आगाह किया था, मगर गुरुवार को ही डेढ़ इंच बारिश में एयरपोर्ट नाले में बहकर तगाराम मेघवाल नामक युवक की मौत हो गई।

सीजे साहब यह वो जोधपुर है जहां हर साल लाखों सैलानी आते हैं। सीजे साहब यह वो जोधपुर है जहां हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग बन चुकी है। सीजे साहब यह वह जोधपुर है जो विकास की नई गाथा लिखने का दावा करता है। मगर पुराना हाईकोर्ट रोड आज भी जल भराव से मुक्त नहीं हो पाया। सीजे साहब अब आपसे ही न्याय की उम्मीद है। इतिहास गवाह है हिन्दुस्तान में न्याय अभी भी जिंदा है। जब एक जज ने अपनी जान पर खेलकर आसाराम जैसे संत को गुरुकुल की छात्रा से यौन दुराचार मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सीजे साहब अब हम आपकी अदालत में उन तमाम कलेक्टरों और नगर निगम और जेडीए के अफसरों के साथ नेताओं को खड़ा कर रहे हैं जो इन छह हत्याओं के लिए सीधे-सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। जिम्मेदार हैं वे ठेकेदार। जिम्मेदार हैं वे घटिया इंजीनियर। जिम्मेदार हैं वे नालायक नगर नियोजक। हम सबको आपकी अदालत में कटघरे में खड़ा देखना चाहते हैं। सीजे साहब हम यह रिपोर्ट बड़ी उम्मीद से आपके लिए लिख रहे हैं।

सभी 6 हत्या के दोषियों को सजा मिले तभी न्याय जीतेगा 

सीजे साहब हमने इस व्यवस्था से व्यथित होकर सीधा आपका दरवाजा खटखटाया है। आपके और आम आदमी के बीच अब कोई नहीं है। ये छह मौतें नहीं छह हत्याएं हैं। हर आदमी को जीने का अधिकार है। संविधान ने सबको जीने का अधिकार दिया है। जब सड़क टूटती है और जिम्मेदारों की लापरवाही की वजह से किसी की मौत हो जाती है तो मी लॉर्ड दोषियों को कोई तो सजा होगी? मी लॉर्ड ऐसे ही नालों में बहकर निर्दोष मर जाए तो आपका कानून कोई तो सजा तय कर बैठा होगा? मी लॉर्ड 16 साल हो गए। 6 लोगों की मौत या कहें हत्या हो जाती है। ताजा मामला तो गुरुवार का ही है। वो भी डेढ़ इंच बारिश में एक नाले में बहकर युवक बह जाता है और उसकी मौत हो जाती है। यह हमारे भविष्य का हाल है। हमारी युवा पीढ़ी क्या इसी तरह नालों में बहकर मरती रहेगी? हमारी सरकारें खामोश रहेगी? हमारे कलेक्टर जांच करते रहेंगे? हमारे अधिकारी रिपोर्ट का इंतजार करेंगे? हमारे ठेकेदार और इंजीनियर तमाशबीन बने रहेंगे? क्या आम आदमी की मौत का कोई जिम्मेदार नहीं? मी लॉर्ड अब आपको तुरंत एक्शन लेना ही होगा। प्रसंगज्ञान लेकर इन छह हत्याओं के दोषियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करना होगा। यही नहीं इन सभी निर्दोषों की मौत के बाद उन घरों में क्या हालत है उसकी तहकीकात भी करवानी होगी। देखना होगा कि उन्हें कितना मुआवजा मिला? क्या वह पर्याप्त था? अब तक हुई मौतों या हत्याओं के बाद कितने जिम्मेदारों को क्या सजा मिली? मी लॉर्ड सवाल अभी सुलग रहे हैं। कल लोग भूल जाएंगे। कल आप भी भूल जाएंगे। मगर आज ही आपको एक्शन लेना होगा। मी लॉर्ड न्याय की पतवार इस लोकतंत्र के सागर में डूबनी नहीं चाहिए। दोषी चाहे कितने ही पॉवरफुल हो। सरकारें चाहे किसी पार्टी की हो। सिस्टम चाहे कितना ही खतरनाक हो। न्याय की लाज रखिए और जोधपुर के भविष्य को देखते हुए कदम उठाइए और इन छह हत्याओं के जिम्मेदारों को कड़ी कड़ी से कड़ी सजा दिलाइए और शहर के नालों की दुर्दशा ठीक करवाइए और ड्रेनेज सिस्टम को ऐसा दुरुस्त करवाइए कि आने वाले पचास सालों में जब शहर की आबादी बढ़े तो भी तकलीफ ना दें। मी लॉर्ड बातें बहुत चुभती है। सामने जो दोषी सिस्टम है उसमें भांग पड़ी हुई है। सरकारें भी कम जिम्मेदार नहीं है। मगर अब आप एक नई मिसाल कायम कीजिए और भगवान की तरह निष्पक्ष न्याय कीजिए। जोधपुर को न्याय की राजधानी कहा जाता है। आपने जोधपुर का अपणायत वाला रूप ही देखा है। यहां के वकील ठंडे है। वरना आज तक इस मुद्दे पर कोई नहीं बोला। अगर कोई जिम्मेदार और काबिल वकील होते तो इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर करते। मगर अफसोस आम आदमी की मौतों पर बोलने वाला कोई नहीं है। पत्रकार समाज भी आपको इतने कड़े शब्दों में कभी नहीं कह पाया होगा जितना साहस हम कर रहे हैं। मी लॉर्ड न्याय के आसन पर बैठे हैं तो निष्पक्ष न्याय कीजिए। लोकतंत्र में न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा कीजिए। अपने अंतर्मन की आवाज को सुनिए। इस व्यवस्था को बदलने का संकल्प लीजिए। अगर हमारी बातों से आप जरा भी सहमत हैं तो सबसे पहले तो जिम्मेदारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवाइए। इसके बाद खोखली सरकारों और नालायक अफसरों को कहिए कि इस शहर का ड्रेनेज सिस्टम सुधारें। अगर डेढ़ इंच बारिश में शहर थम जाता हो तो कल्पना कीजिए दस इंच बारिश में क्या होगा? मी लॉर्ड जोधपुर के भविष्य के लिए। जोधपुर के लोगों की सुरक्षा के लिए। आपको कदम उठाना ही होगा।

राइजिंग भास्कर की पूर्व जस्टिस और मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष गोपालकृष्ण व्यास से बातचीत 

प्रश्न : आज नाले में युवक की बहने से मौत हो गई। ऐसे मामलों में आम आदमी का क्या मानवाधिकार है? आप पूर्व में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं और जस्टिस भी रह चुके हैं। आपका क्या कहना है?

उत्तर : दिलीप जी अब में मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नहीं हूँ। लेकिन मेरे विचार में JDA और नगर निगम को ऐसे स्थानों पर कारगर कदम उठाकर इंसानों की रक्षा करनी चाहिए। यह इन स्वायतशाषी संस्थाओं का प्रथम दायित्व है। इसमें कोताही बरतने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। मृतक के परिवारों को तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए। समय रहते उचित कदम नहीं उठाने वालों से मुआवजा राशि की वसूली उनके वेतन से होनी चाहिए।

प्रश्न : क्या हाईकोर्ट जिम्मेदारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर सकता है, प्रसंगज्ञान ले सकता है?

उत्तर : संविधान के अनुछेद 226 के तहत जनहित में उच्च न्यायालय किसी भी प्रकार के विधि विरुद्ध कार्य को ठीक करने के लिए स्वतः प्रसंज्ञान लेकर कोई भी आदेश जनहित में पारित कर सकता है। क्योंकि संविधान में उच्च न्यायालयों को न्याय हित में किसी भी प्रकार का आदेश पारित करने की असीमित शक्तियां प्राप्त हैं। महेंद्र लोढ़ा बनाम राज्य सरकार जनहित याचिका में विभिन्न आदेश उच्च न्यायालय ने दिए हैं। यह याचिका अभी भी लंबित है आप अतिरिक्त महाधिवक्ता से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मेरी जानकारी में समय समय पर ऐसे आदेश जनहित में पारित हुवे हैं आप JDA और NAGAR NIGAM से भी जानकारी ले सकते हैं कि क्या कार्यवाही हुई।

मानवाधिकार आयोग के नए अध्यक्ष जीआर मूलचंदानी से विशेष अपील 

जस्टिस मूलंचदानी साहब। सबसे पहले तो आपको राज्य मानवाधिकार आयोग का नया अध्यक्ष बनने के लिए बधाई। अब इस मामले में आपको बताते हुए बड़ा दुख हो रहा है कि राजस्थान में विशेषकर जोधपुर में मानवाधिकारों का हनन हुआ है। पिछले 16 साल में 6 निर्दोष लोग नालों में बहकर मर गए और इस सिस्टम और सरकारों ने कुछ नहीं किया। न्यायालयों ने भी कुछ नहीं किया। जिम्मेदार मौन रहे। कहीं कोई बोलने वाला नहीं है। कोई सुनने वाला नहीं है। यह गूंगा-बहरा सिस्टम है। आपको जो पद दिया गया है हालांकि राजनीतिक मेहरबानी से दिया गया है मगर आपसे हम उम्मीद करते हैं कि आप न्याय के आसन पर बैठकर इन निर्दोष लोगों को न्याय दिलाएंगे। हमने सीजे साहब से भी इन हत्याओं के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की अपील की है। आपसे भी यही अनुरोध कर रहे हैं।

…और जोधपुर के जाये जन्मे पूर्व सीएम अशोक गहलोत को नाकामी के लिए बधाई!

 

प्रिय अशोक गहलोत जी। आप जोधपुर के जाए जन्मे हो। जोधपुर से दर्जन बार विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते रहे। तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। मगर आप अपने जोधपुर में ड्रेनेज सिस्टम तक नहीं सुधार पाए। इस नाकामी के लिए आपको बधाई। बधाई इस बात के लिए कि आपकी जोधपुर के विकास को लेकर सारी बातें हवा-हवाई निकली। आपने अपणायत तो खूब निभाई मगर इस शहर के साथ चीरहरण किया। इस शहर के निर्दोष लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया। आप तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। आपके पास तेज तर्रार आईएएस अफसरों की फौज रही। आपके पास प्लानिंग बनाने वाले अफसरों की लाइन लगी रही। मगर अफसोस गहलोत साहब आप अपने जोधपुर के बिगड़े हुए ड्रेनेज सिस्टम को सुधार नहीं पाए। आपकी इस नाकामी का जश्न मनाया जाना चाहिए। जब जब आप जोधपुर को लेकर वाह वाही लूटेंगे तब आपकी नाकामियों के किस्से भी बयां किए जाएंगे। आपने तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जोधपुर के नालों के लिए कुछ नहीं किया। आपके पास हजार तर्क होंगे। आप कहेंगे कि आपने करोड़ों रुपए का फंड दिया। चाटें क्या ऐसे फंड को जो नालों को दुरुस्त नहीं कर पाया। धिक्कार है गहलोत साहब 16 साल में छह लोग नालों में बहकर मर गए और आप कुछ नहीं कर पाए। आज आपकी सरकार नहीं है। मगर आप आज भी जोधपुर के विधायक हैं। मगर आज भी आपने युवक की मौत पर आंसू नहीं बहाए। आपके मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला। धिक्कार है गहलोत साहब आपकी काबलियत पर। आपने जोधपुर के ड्रेनेज सिस्टम का सत्यानाश कर दिया। गहलोत साहब आप मथुरादास माथुर क्षेत्र को डूब क्षेत्र से नहीं निकाल पाए। आप कलेक्ट्रेट को भी जल भराव से मुक्त नहीं करवा पाए। और तो और पूरा शहर मौत के मुआने पर खड़ा है। डेढ़ इंच बारिश में आज शहर का यह हाल है तो कल्पना कीजिए 10 इंच बारिश हो जाए तो शहर में कितनी मौतें होंगी? गहलोत साहब इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा। आप कितनी की वाह वाही लूट लो लेकिन आपको स्वीकार करना ही होगा कि आप जोधपुर के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त नहीं कर पाए। और सरकारों से तो क्या उम्मीद करें आपकी अपनी सरकारों ने कुछ नहीं किया। गहलोत साहब आपने जोधपुर के लिए हजार काम अच्छे किए होंगे मगर जमीनी हकीकत यह है कि आपने आने वाले 50 सालों को देखते हुए शहर में बारिश के पानी का प्रबंध तक नहीं कर पाए। इससे ज्यादा आपकी नाकामी क्या होगी? इसके लिए आपको अपनी नाकामी स्वीकार करनी ही होगी? आप स्वीकार नहीं भी करेंगे तो सच्चाई बदल नहीं सकती।

युवक मर गया और विधायकों-मंत्री के मुंह से सहानुभूति के बोल नहीं फूटे 

नाले में बहकर होनहार युवक मर गया। नई पीढ़ी का पुष्प कुम्हला गया और शहर के विधायकों के मुंह से सहानुभूति के बोल नहीं फूटे। बधाई हो संवेदनहीन विधायकों। आपकी निर्लजता के लिए इस शहर को दोषी मानेंगे जिन्होंने आपको चुना। धिक्कार है इस शहर के मंत्रियों को जिन्होंने भी युवक की मौत पर कुछ नहीं कहा। यहां दो दिन बाद केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत का जोधपुर आने पर स्वागत होने वाला है। हमारा जोधपुर की जनता से आग्रह है कि पूछिएगा कि इस युवक की मौत पर क्या एक्शन लेंगे? किन जिम्मेदारों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? अब तो सरकार केंद्र में भी आपकी है और राज्य में भी आपकी। सवाल सुलग रहे हैं। उत्तर समय ही देगा।

प्रशासन के लिए इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है 

मात्र 1½ इंच बारिश ने जोधपुर शहर मे बाढ़ के से हालात कर दिए। खुले नाले में गिरकर नौजवान विद्यार्थी तगा राम की मृत्यु हो गई। प्रशासन के लिए इससे अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है? विगत कई वर्षों से राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी शहर की जल-मल निकास की सुधारने के लिए कई आदेश दिए परंतु प्रशासन कुछ भी सार्थक करने में असमर्थ है। टूटी सड़कों, खुले नालों, गंदगी के ढेर,अनियंत्रित यातायात , भारी अतिक्रमण और शहर भर में विचरते जानवरों के साथ रहना जोधपुर वासियों की नियति हो गई है। लगता नहीं की प्रशासन कोई प्रभावी कारवाई कर पाएगा। शहरियों की स्वतः स्फूर्ति कार्यवाही ही शायद इन हालात से मुक्ति दिला पाए। मासूम तगा राम के निधन पर हार्दिक श्रद्धांजलि।

गोविन्द माथुर
पूर्व मुख्य न्यायाधीश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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