-पंडित विजय शंकर मेहता के ‘बुजुर्गों को समय दीजिए’ से संबंधित ये वीडियो हर बच्चे-युवा को सुनना चाहिए, आज के दौर में पंडित मेहता देश के अग्रणी पंक्ति के महान आध्यात्मिक मनीषी है।
-वे प्रखर वक्ता, प्रखर विचारक और आध्यात्मिक लेखक हैं। दैनिक भास्कर में उनका कॉलम हमारा हमेशा मार्गदर्शन करता है। वे जीवन की बात करते हैँ और जीने के अंदाज को इस तरह व्यक्त करते हैं कि जीवन सार्थक हो जाता है। ये आलेख भी उन्हीं के वीडियो की दिशा में युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करेगा, ऐसा हमारा मानना है।
डीके पुरोहित. जोधपुर
आज के समय में एकाकी परिवार का चलन बढ़ रहा है। हम अपने को आधुनिक कहते हैं। आधुनिक कहना तो ठीक है मगर हम अपने परिवार से दूर होते जा रहे हैं। खासकर संयुक्त परिवार से। संयुक्त परिवार में भी बुजुर्गों की जितनी उपेक्षा नई पीढ़ी कर रही है उससे लगता ही नहीं कि यह रामायण के संस्कारों की खेप है। हम रामायण सीरीयल को देखना तो पसंद करते हैं मगर उसके आदर्शों पर चलना नहीं चाहते। आज के दौर में बुजुर्गों की हालत सबसे अधिक खराब है। बुजुर्ग घर के किसी कोने में एकाकी पड़े रहते हैं। यह भी गनीमत है कि बुजुर्ग घर के किसी कोने में एकाकी मिल जाए। वरना हमारी पीढ़ी ने तो बुजुर्गों को वृद्धाश्रम पहुंचाने में कोई कमी नहीं रखी है। आज के बच्चे और युवा भूल जाते हैं कि एक दिन सबको बूढ़ा होना है। सबके जीवन में संध्या आनी है। जीवन की इसी संध्या से कोई भी बच नहीं सकता। ऐसे ही दौर में प्रख्यात विचारक और आध्यात्मिक मनीषी पंडित विजय शंकर मेहता की बातें हमारा मार्गदर्शन करती हैं।
पंडित मेहता का व्यक्तित्व बहुआयामी है। वे हमेशा परिवार की मजबूती पर जोर देते हैं। वे आज के उन संतों की तरह नहीं है जो जादू और चमत्कारों की बातें करते हैं। पंडित मेहता के भीतर तक आदर्शों का ऐसा दर्शन है जो मानव मात्र की भावना से परिपूर्ण हैं। पंडित मेहता सही मायने में हमारे आज के दौर में जीवन को सही दिशा देने की बात करते हैं। वे ना तो बड़ी बड़ी डींगें हांकते हैं और ना ही बातों काे बढ़ा चढा़कर कहते। उनका एक ही कहना है प्रेम से रहें। परिवार को संभालें। भगवान ने जीवन दिया है उसे भगवान की मर्जी समझ कर इस तरह व्यक्त करें कि भगवान को जब मुंह दिखाना पड़े तो शर्मिंदा ना होना पड़े। पंडित मेहता ने हनुमानजी के माध्यम से, गणेशजी के माध्यम से, शिवजी के माध्यम से जीवन में सदा ऊजार्वान संदेश दिया है। देश भर में उनके व्याख्यान, मेडिटेशन शिविर, सेमिनार और प्रवचन हमें नई ऊर्जा से भर देते हैं।
उपरोक्त वीडियो में पंडित मेहता ने बुजुर्गों को समय देने पर बड़ा ही सार्थक वक्तव्य दिया है। वे कहते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में सांझ आनी है। इस सांझ को समझने की जरूरत है। दरअसल आज पंडित मेहता की तरह खरी खरी बात कहने वाले कम हैं। हम कथाओं में नृत्य करने लगते हैं। हम कथाओं में रस ढूंढ़ते हैं, मगर असली मुद्दों से भटक जाते हैं। आज बुजुर्ग सबसे गौण विषय हो गया है। बच्चे बुजुर्गों की कद्र ही नहीं करते। बच्चों का अपने बुजुर्गों के प्रति व्यवहार रूखा होता जा रहा है। जबकि बुजुर्ग आज भी अपने बच्चों और पाेतों-पोतियों, नातियों से उतना ही प्यार करते हैं। लेकिन परिवार में हालत यह हो गई है कि बुजुर्ग अलग-थलग पड़ गए हैं। आज के दौर में वृद्धाश्रम बढ़ते जा रहे हैं। वृद्धाश्रम का बढ़ना इस बात का प्रतीक है कि हम अपने बुजुर्गों से कटते जा रहे हैं। कई ऐसे धनवाज बेटे भी हैं जिनके पास पैसों की कमी नहीं है, मगर अपने बुजुर्गों के लिए समय की कमी है। ऐसे में वे अपने बुजुर्गों के पास बैठने की बजाय उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं या उनके लिए केयर टेकर की व्यवस्था कर देते हैं। जबकि बुजुर्गों को अपने बेटों-पोतों का प्यार चाहिए। वे भी चाहते हैं कि उनके बच्चे उनके पास दो घड़ी बैठें। उनसे प्यार से बात करें। लेकिन आज की पीढ़ी जो अपने को ज्यादा पढ़ी लिखी और आधुनिक कहती है, इस बात को भूलती जा रही है कि घर के जिन बुजुर्गों की वे उपेक्षा कर रहे हैं उन्हीं बुजुर्गों ने पाल पोषकर उन्हें बड़ा किया है। काबिल बनाया है। मगर हम अपने अहं में और अपनी झूठी शान में अपने बुजुर्गों को उपेक्षित कर बैठते हैं। अपने माता-पिता को देखकर उनके बच्चे भी अपने दादा-दादी की उपेक्षा करते हैं।
बुजुर्गों के पास ज्ञान और अनुभव का खजाना होता है। जिन घरों में बुजुर्ग होते हैं वह घर ही सही मायने में स्वर्ग होता है। स्वर्ग और कहीं नहीं इस धरती पर ही है। धरती पर भी स्वर्ग सबसे पहले अपने परिवार में है। परिवार में भी स्वर्ग माता-पिता के चरणों में है। आप माता पिता के चरण ना छू सको तो कम से कम उनके कदमों तले की जमीन तो ना खीचों। आज बड़ों को समझने की जरूरत है। बुजुर्गों की पीड़ा और उनके दर्द को महसूस करने की जरूरत है। आप बुजुर्गों को दवा तो दे सकते हो मगर ध्यान रखो प्यार से उनसे बात करना और उन्हें रोज थोड़ा थोड़ा समय देते हैं तो वह सबसे बड़ी दवा है। यह दवा अगर उन्हें मिलती रही तो उनकी दुआ भी मिलती रहेगी। और उनकी दुआ मिलती रही तो आपके बिजनेस में, आपकी संपत्ति में कभी कमी नहीं होगी। आप हमेशा प्रगति करेंगे। मगर इस बात को कितने लोग समझते हैं। आज हमें अपने बुजुर्गों को समझने की जरूरत है। बुजुर्ग आपकी संपत्ति दौलत नहीं चाहते। आप ही उनकी संपत्ति और दौलत है। इसलिए आज से और अभी से इस बात को समझें कि रोज अपने बुजुर्गों को समय दें। याद रखें कि आप भी एक दिन बुजुर्ग होंगे। बूढ़े होंगे। जो व्यक्ति दूसरों को देता है वही लौट कर आता है। अगर आप अपने बुजुर्गों के साथ अन्याय करेंगे तो समय आपके साथ अन्याय करेगा। फिर पछताने के सिवाय कुछ हाथ नहीं आना। समय कभी लौट कर नहीं आता। इसलिए समय रहते इस बात को समझ लें कि बुढ़ापा सबको आना है। और हमें अपने बुजुर्गों को समय देना है। समय देकर और उन्हें प्रेम देकर ही हम अपना जीवन सफल कर सकते हैं। इसलिए पंडित विजय शंकर मेहता के मार्गदर्शन की रोशनी में हम आप सभी से आग्रह कर रहे हैं कि बुजुर्गो को समय दीजिए और उनसे प्रेम से बात कीजिए। क्योंकि यही प्रेम बुजुर्गों से हमें मिला है। इसी प्रेम के वे हकदार हैं।
