जैविक अवयवों की अधिक प्राथमिकता हो
सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
राजस्थान में अनार की बागवानी खेतीं व्यापक स्तर पर होती है।अनार स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ बहुत स्वादिष्ट होता है। इसमें विटामिन ए.सी.और ई. और फोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है। क्षेत्र में अनार बागवानी खेतीं का निरीक्षण के दौरान उद्यान विभाग के अधिकारियों द्धारा मौके पर उन्नत कृषि तकनीकी एवं पौधसंरक्षण के उपायों दी विस्तार से जानकारी।
सहायक कृषि अधिकारी रफीक अहमद कुरैशी ने अनार का बेहरीन उत्पादन के लिए पौधसंरक्षण एवं पौषक तत्व प्रंबधन की विस्तार से जानकारी।अनार के प्रमुख कीट में दीमक, अनार फल छेदक, थ्रिप्स, माइट इत्यादि होते है। व्याधि में पत्ती व फल धब्बा रोग, फल सड़न व बैक्टीरियल ब्लाइट इत्यादि होते। कीट-व्याधि का समय पर पौधसंरक्षण कार्य का महत्व होता है। मौसम के अनुसार बेहतर उत्पादन के लिये अनार का बहार चयन करना आवश्यक होता है।अम्बे बहार, मृग बहार और हस्त बहार तीन बहार प्रमुख रूप से होती है। बहार का चयन करना चाहिए। अनार में विशेषकर फल फटना भी एक समस्या होती है।पौधसंरक्षण पद्धति में जैविक अवयवों की अधिक प्राथमिकता हो इसे लेकर विस्तृत जानकारी साझा की। इस मौके पर कृषि पर्यवेक्षक उद्यान अकबर बोरुन्दिया सहित किसान उपस्थित रहे।