राखी पुरोहित. जोधपुर
देश की जंगे आजादी में जैन वीरांगनाओं का योगदान विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। जैन समता वाहिनी व महावीर शासन स्थापना स्थापना समारोह समिति के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन “देश की “आज़ादी में जैन वीरांगनाओं के योगदान”विषय पर जैन महिला वाहिनी अध्यक्षा रानी मेहता की अध्यक्षता में आयोजित समागम को संबोधित करते समतावादी चिंतक सोहन मेहता ने कहा कि जिस तिरंगे की आज गली गली में धूम मची उस तिरंगे को महान स्वतंत्रता सेनानी जैन बेटी हंसा जीव राज मेहता ने पहली बार राष्ट्र की ओर से यह तिरंगा देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को समर्पित किया, जिसे बिना किसी सुधार के संविधान सभा व समूची व्यवस्था ने स्वीकार कर उसे पहली बार राष्ट्रीय ध्वज के रूप में राष्ट्रपति ने पहनाया। समिति के राष्ट्रीय महामंत्री धनराज विनायकिया ने कहा कि समाज की बेटी व महान क्रान्तिक़ारी स्वतंत्रता सेनानी उषा मेहता ने पहली बार अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ़ गुप्त इंटरनेशनल रेडियो की स्थापना की और मुंबई के अगस्त क्रान्ति मैदान में पहली बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भी उन्होंने ही फहराया था। विनायकिया ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार कर्नाटक व केरल के बीच एक महान बहादूर जैन रानी अबक्का ने न केवल दर्जनों बार अंग्रेज़ी सेना को हराया बल्कि अंग्रेज सेनापति को भी उनकी मांद में जाकर उन्हें मौत के घाट उतारा। इस अवसर पर दीपक कुमार सिंघवी ने बताया कि हंसा जीवराज मेहता एक महान अंतरराष्ट्रीय लेखक व शिक्षा शास्त्री ही नहीं वे संयुक्त राष्ट्र की अनेकों कमेटियों में प्रमुक पदाधिकारी व लन्दन की हाई कमिश्नर भी रही, उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। वे देश में पहली महिला के रूप में विश्वविद्यालय की उपकुलपति बनी। अनिल मेहता आलोक पारख आदि कई सदस्यों ने विचार रखे।
