शिव वर्मा. जोधपुर
कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार, आचार्य नानेश मार्ग स्थित समता भवन में एवं पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में महान पर्व पर्युषण रविवार से प्रारम्भ हो गया है।
दोनों स्थलों पर श्री साधु मार्गी जैन संघ,जोधपुर द्वारा समता भवन में पर्यायज्येष्ठा साध्वी चन्द्रकला के सान्निध्य में एवं पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्यायज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री के सान्निध्य में पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है। पर्युषण के प्रथम दिवस पर समता भवन में पर्यायज्येष्ठा साध्वी चन्द्रकला ने फरमाया कि संयम आकाश से बहती हुई गंगा है। जिन भावनाओं से संयम स्वीकार करें, उन भावनाओं में निरन्तर विकास करना आवश्यक है। जो सुख तपस्या, व्रत, उपवास में है, वो खाने में नही है, जो सुख कष्ट को सहने में है वो सुख कष्टों से दूर रहने में नही है। पर्युषण हमें जगाने आया है। पर्युषण पर्व की आराधना हमें भव सागर से तीराने वाली है।
पर्युषण पर्व में धर्म आराधना कर हमें अपने जीवन को धन्य बनाना है। धर्म पाप से मुक्ति दिलाने वाला है। हम मनुष्य जन्म की महत्ता को समझें। हमारे भीतर रही हुई शक्ति और शौर्य को हम जगा सकें तभी हमारा यह पर्युषण मनाना सफल हो पायेगा । हम अपने मन में भरे हुए मैल और कचरे को साफ करने का लक्ष्य बनायें। इन्ही लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किये गये कार्यों से हमारा पर्युषण पर्व मनाना सार्थक हो पायेगा। दूसरी ओर पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्याय ज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री ने फरमाया कि पर्युषण पर्व हममें उल्लास जगाने, धर्म आराधना की प्रेरणा देने हेतु उपस्थित हुआ है । यह लोकोत्तर पर्व है। बिना पुरुषार्थ के कुछ भी हासिल होने वाला नही है। हमें आज इस महान पर्व पर्युषण पर अपने जीवन के अन्दर संकल्प लेना चाहिए कि हम मन में दृढ़ता लाकर उत्साह और उमंग के साथ धर्म आराधना में जुट जाएं। हम इधर उधर भटक रहे हैं पर मंजिल नही मिल रही है। भगवान की वाणी हमारे बीच दर्पण के रूप में आती है, हम इस दर्पण में अपने जीवन में रहें दागों को देखें ,हमारे अन्दर रही बुराइयों को देखें। धर्म की निर्मलता, पवित्रता व स्वच्छता से इन बुराइयों को धोकर दूर करने का प्रयास करें। पर्युषण पर्व हमें जगाने आया है, हम अपने शेष बचे जीवन को श्रद्धा और आस्था के साथ धार्मिक क्रियाओं में लगाएं और अपने जीवन को सफल बनायें। साध्वी जयामिश्री ने साधुमार्गी परम्परा के प्रथम आचार्य हुकमीचन्द का जीवन परिचय बताया । साध्वी शाश्वतश्री ने प्रवचन के प्रारम्भ में अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया। आज का धार्मिक दिवस, दया दिवस के रूप में मनाया गया। त्याग प्रत्याख्यान में समता भवन में जितेन्द्र छाजेड़ ने 7 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये । इसके अलावा भी अन्य कई प्रकार के प्रत्याख्यान भी किए गए। प्रवचन का समय दोनों ही स्थलों पर प्रात: 8.45 बजे का रखा गया है। दोनों ही स्थलों पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए प्रतिकमण की व्यवस्था भी रखी गई है। पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक, श्राविकाओं द्वारा सामायिक, प्रतिकमण, एकासन, आयम्बिल, उपवास, बेला, तेला, अठाई, दया भाव, दया व्रत, धार्मिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, कल्पसूत्र आदि का श्रवण एवं अनेकों तप,त्याग एवं धर्म आराधना के कार्य किए जाएंगे। प्रतिदिन प्रवचन के पश्चात् समता युवा संघ द्वारा धार्मिक परीक्षा का भी आयोजन रखा गया है।संचालन गुलाब चौपड़ा द्वारा किया गया। इस मौके पर सुरेश सांखला भी मौजूद थे।
