शिव वर्मा. जोधपुर
आचार्य श्री नानेश मार्ग स्थित समता भवन एवं पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में श्री साधु मार्गी जैन संघ द्वारा पर्युषण पर्व मनाया जा रहा है। समता भवन में साध्वी चन्द्रकला ने फरमाया कि पर्युषण पर्व हमारे भीतर जल रही कसाय की अग्नि को बुझाने आया है। हमारे अन्दर भरे हुए कचरे के कारण हमारे भीतर कसाय की अग्नि जल रही है। महापुरुषों का जीवन कसाय रहित है। इसलिए उनके भीतर आग नहीं जलती। इसीलिए वो शान्त चित्त का जीवन जी रहे हैं। हमारे भीतर क्रोध रूपी अग्नि इसलिए जल रही है, क्योंकि कचरा भरा हुआ है। हम क्रोध करके किसी और का नहीं स्वयं अपना नुकसान कर रहे हैं। गुस्सा ऐसा मेहमान है जो बिन बुलाये ही आ जाता है और ढीठ भी इतना है कि वापस जाने का नाम ही नही लेता।
उन्होंने कहा कि क्रोध हमारा सबसे बड़ा और पहला शत्रु है।अ गर हम जीवन में शान्ति और समाधि चाहते हैं तो पहले क्रोध को अपनी जिन्दगी से बाहर निकालें । क्रोध ने आज हम मनुष्यों के बीच दीवार खड़ी कर दी है। हमारी दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया है। क्रोध को महाचांडाल की उपमा भी दी गयी है। क्रोध से होने वाली हानि की कोई सीमा नही है। क्रोध को नष्ट करके ही हम मोक्ष की प्राप्ति कर पायेंगे। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने क्रोध को कम कर इसे अपने जीवन से बाहर निकालने का लक्ष्य रखें। पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्याय ज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री ने फरमाया कि पर्युषण पर्व हमारी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिये उपस्थित हुआ है। यह हमें प्रभु से मिलाने के लिए उपस्थित हुआ है। पर्युषण पर्व हमें आत्म साधना करने की प्रेरणा दे रहा है। भगवान महावीर ने कर्मों का नाश करने के लिये संयम को सशक्त माध्यम बताया है। जिस प्रकार महापुरुषों ने संयम के माध्यम से अपना भव सुधारा है, हम भी अपने जीवन में संयम लेने का मन बनाने का प्रयास करें। प्रयास करने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से सफलता को प्राप्त करता है। हमें जीवन का आनन्द लेना है और सच्चे अर्थों में जीना है तो हम संयम का जीवन जियें। साध्वी जयामिश्री ने साधुमार्गी परम्परा के चतुर्थ आचार्य चौथमल एवं पंचम आचार्य श्रीलाल का जीवन परिचय बताया । साध्वी शाश्वतश्री ने प्रवचन के प्रारम्भ में अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया। अशोक पारख ने 4 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये । दोनों स्थलों को मिलाकर लगभग 25 श्रावक श्राविकाओं ने 3 उपवास, तेला का सामुहिक प्रत्याख्यान किया। इसके अलावा भी अन्य कई प्रकार के त्याग, प्रत्याख्यान भी किए गए। नवकार महामंत्र का जाप भी चल रहा है। प्रवचन का समय दोनों ही स्थलों पर प्रात: 8.45 बजे का रखा गया है। दोनों ही स्थलों पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए प्रतिकमण की व्यवस्था भी रखी गई है।पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक, श्राविकाओं द्वारा सामायिक, प्रतिकमण, एकासन,आयम्बिल,उपवास, बेला, तेला,अठाई,दया भाव, दया व्रत,धार्मिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, कल्पसूत्र आदि का श्रवण एवं अनेकों तप,त्याग एवं धर्म आराधना के कार्य किए जा रहे हैं। प्रतिदिन प्रवचन के पश्चात् समता युवा संघ द्वारा धार्मिक परीक्षा का भी आयोजन रखा गया है। संचालन समता युवा संघ के अध्यक्ष रमेश मालू द्वारा किया गया। सुरेश सांखला भी मौजूद थे।
