शिव वर्मा. जोधपुर
कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार, आचार्य श्री नानेश मार्ग स्थित समता भवन में पर्युषण के चतुर्थ दिवस पर पर्यायज्येष्ठा साध्वी चन्द्रकला के सान्निध्य में शासन दीपिका काव्ययशाश्री फरमाया कि पर्युषण पर्व हमें धर्म आराधना की प्रेरणा देने आया है। हम सभी का जीवन चुनौतियों से भरा हुआ है। हर कदम कदम पर चुनौती है। हमारे साथ धर्म है तो हम बचे हुए हैं। धर्म के अभाव में व्यक्ति धैर्य खो बैठता है। धैर्य खोकर व्यक्ति आत्महत्या तक कर लेता है। परन्तु जिसके साथ धर्म है उसमें धैर्य का समावेश है।धर्म हमें जीवन का सही मायने में मार्गदर्शन कराता है। धर्म हमें कष्ट एवं बाधाओं का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है l हमें आत्म बोध करना है एवं इस असार संसार से मुक्ति पाने के लिए धर्म मार्ग पर आगे बढ़ना है। हम धर्म के सहारे से अपने मन को मजबूत बनाकर संसार के भोगों को दूर हटाएं और सम भाव अपनाकर जीवन को सफल बनायें। वहीँ पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्याय ज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री के सान्निध्य में शासन दीपिका वरणश्री ने फरमाया कि हमारे जो कदम धर्म रूपी मंजिल को भूल गये थे उन्हें हम धर्म रूपी मंजिल की ओर ले जाने का लक्ष्य बनाये। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का आत्मा उदबोधन के रूप में पधारना हमारे लिये सोने में सुहागा के समान है। आलस्य और प्रमाद से हमने धर्म रूपी फसल को उजाड़ दिया है। पर्युषण पर्व हमें जगाने आया है। हमारे कदम जिस धर्म रूपी मंजिल को भूल गये थे, उस ओर ले जाने आया है। धर्म आत्मा के मैल को साफ करने और उस स्वच्छ हुई आत्मा को यथावत रखने का कार्य करता है। धर्म ध्यान में हमारा मन नहीं लगता, हमने मेरी तुम्हारी में सारा जीवन निकाल दिया। हम इस खोखली दुनिया से बाहर निकलें व ऐसे कार्यों में समय व्यर्थ गंवाने की बजाय अपना मन धर्म में लगायें। पर्युषण महापर्व के माध्यम से हम धर्म आराधना कर अपनी आत्मा में पड़े मैल को साफ करने का प्रयास करें। हम धर्म रक्षा के लिये शुद्धता को धारण करें। धर्म को आडम्बर से जोड़ना हमारी नीति कतई नहीं होनी चाहिये। हम सादगी से धर्म की पालना करें। हमारी आत्मा जन्म जन्मान्तर से संसार में भटक रही है। हमें धर्म के माध्यम से आत्म बोध करना है। हम देव, गुरु और धर्म की उपासना करें। इस प्राप्त हुए दुर्लभ मनुष्य जीवन में हम धर्म को अपनाकर मिथ्यात्व को त्यागकर सत्य की राह पर चलें ।
साध्वी जयामिश्री ने साधुमार्गी परम्परा के छठवें आचार्य जवाहरलाल का जीवन परिचय बताया । साध्वी शाश्वतश्री ने प्रवचन के प्रारम्भ में अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया। आज का धार्मिक दिवस स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। त्याग प्रत्याख्यान में अशोक पारख ने 5 उपवास, रमेश मालू, गौतम गुलेच्छा,जसराज गुलेच्छा ने 4 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये ।दोनों स्थलों को मिलाकर लगभग 25 श्रावक श्राविकाओं ने तीन उपवास, तेला का प्रत्याख्यान किया। तेले में मुख्य रूप से शालीभद्र सिंगी ,दिलीप गुलेच्छा, दिलीप चौरडिया ,मदनलाल सांखला,सुधीर बुरड़ ,शर्मिला चौरडिया,अंजलि चौरडिया,नीलू विनायकिया,मानसी भण्डारी, संगीता पारख, मंजू लुनावत,सुशीला लुनावत आदि ने तेले का सामुहिक प्रत्याख्यान किया।चन्दा चौरडिया का नीवि उपवास,सिद्धि तप सम्पन्न हुआ।सौरभ बुरड़ का 8 दिवसीय नीवि तप गतिमान है। कल 5 सितम्बर, गुरुवार को सामूहिक रूप से 11 सामायिक,7 सामायिक, 5 सामायिक का आयोजन रखा गया है। नवकार महामंत्र का जाप दोनों जगह निरन्तर रूप से चल रहा है।प्रवचन का समय दोनों ही स्थलों पर प्रात: 8.45 बजे का रखा गया है। दोनों ही स्थलों पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए प्रतिकमण की व्यवस्था भी रखी गई है। पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक, श्राविकाओं द्वारा सामायिक, प्रतिकमण, एकासन, आयम्बिल,उपवास, बेला, तेला, अठाई, दया भाव, दया व्रत,धार्मिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, कल्पसूत्र आदि का श्रवण एवं अनेकों तप,त्याग एवं धर्म आराधना के कार्य किए जा रहे हैं। प्रतिदिन प्रवचन के पश्चात् समता युवा संघ द्वारा धार्मिक परीक्षा का भी आयोजन रखा गया है। संचालन गुंजन चौपड़ा द्वारा किया गया। सुरेश सांखला भी मौजूद थे।
