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Sunday, April 13, 2025, 3:10 am

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माता-पिता का ऋण हम कभी नहीं उतार सकते : साध्वी चंद्रकला

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शिव वर्मा. जोधपुर

कमला नेहरू नगर प्रथम विस्तार, आचार्य श्री नानेश मार्ग स्थित समता भवन में पर्युषण के सातवें दिवस पर पर्यायज्येष्ठा साध्वी चन्द्रकला ने फरमाया कि जैन धर्म अहिंसा पर टिका हुआ है। अहिंसा का तात्पर्य है मन, वचन, काया से किसी को पीड़ा नही पहुंचाना। हमारा जीवन सुख दुःख के झोंके झेलता रहता है। कुछ अतीत की यादें हम अपने स्मृति पटल पर लाएंगे तो हम याद करें उस क्षण को जब भूख से, चोट लगने पर पीड़ा से हम रोते थे, उस समय हमारे दुःख को दूर करने वाले हमारे माता पिता ही थे। आज वृद्धाश्रम में हमारे जीते जी हमारे माता – पिता की संख्या अनवरत रूप से बढ़ती जा रही है । माता-पिता को घर से बाहर निकाल कर उन्हें अपने हाल पर छोड़ा जा रहा है। ऐसी घटनायें तेजी से बढ़ती जा रही है। वृद्धाश्रम में रहते हुए माता-पिता की मृत्यु हो जाने की सूचना मिलने पर देखा गया है कि बेटा उनके दाह संस्कार के लिए भी नहीं आता है और संस्था वालों को बोलता है आप ही दाह संस्कार कर दें, मेरे पास तो समय नही है। कैसी विडंबना है जिस बेटे के लिए बाप अपना काम, काज, व्यवसाय छोड़कर उसका इलाज, स्कूल, कॉलेज, अन्य जरूरतों के लिये समय देता रहा, आज उस बेटे के पास उसके लिए समय नही है। यह घटनाएं घर घर की कहानी बनती जा रही है।

हमें माता- पिता की कीमत तभी समझ में आएगी जब वो इस दुनिया में नहीं रहेंगे, परन्तु तब तक देर हो जाएगी, हम कुछ भी हासिल करने लायक नहीं रहेंगे। जिनके माता-पिता जीवित है वो भाग्यवान हैं । हम अपने माता-पिता की सेवा करें उनकी झोली खुशियों और आनंद से भरी रखें। उनका आशीर्वाद हमें हमारी दी हुई खुशियों से कई गुना अधिक खुशियों से भर देगा। हम अपने माता-पिता का कभी भी दिल न दुखाऐं । उनके जीवन को तनाव से कोसों दूर रखने का प्रयास करें। अगर कोई मन मुटाव
हो गया है तो सबसे पहले हम अपने माता-पिता से क्षमा याचना करें, उनसे अगर कोई भूल हुई हो तो हम बीती बातें भुलाकर उन्हें क्षमा करने का लक्ष्य रखें। हमारे जीवन का पहला कर्त्तव्य हमारे माता-पिता की सेवा करना होना चाहिये। प्रवचन के दौरान उपस्थित मुमुक्षु करुणा गुलेच्छा की माता उषा गुलेच्छा ने अपने भाव रखे। आज सम्वतसरी महापर्व के पूर्व दिवस पर महिला मंडल की महामन्त्री अनिता छाजेड ,निर्मला कोठारी, संगीता बाफना ,कविता लूँकंड ने भी अपने भाव रखे।

वहीँ पावटा बी रोड स्थित राजपूत सभा भवन में पर्यायज्येष्ठा साध्वी प्रभातश्री ने माता पिता द्वारा हमें प्रदान करने वाली शक्ति और सम्बल पर अपने प्रवचन में फरमाया कि माता पिता से बढ़कर कोई नहीं। इस धरातल पर जितना उपकार माता पिता का है उतना किसी का नहीं। आज माता पिता की वजह से हमारा अस्तित्व कायम है। माता पिता की उपस्थित हमें एक अद्भुत शक्ति और मजबूती प्रदान करती है। माता पिता की प्राप्ति हमें भगवान के वरदान के रूप में हुई है। माता पिता का आशीर्वाद व्यक्ति को ऊँचाइयां प्रदान करता है, व्यक्ति को महान बना देता है। माता पिता की हम कितनी ही सेवा कर लें, कितना ही अपने आपको उनके प्रति समर्पित कर दें हम उनके उपकारों से कभी उऋण नहीं हो सकते। आवश्यकता है हम सकारात्मकता के साथ उनके अनुभवों का लाभ उठायें और उनकी बातों का अनुसरण करें, सम्मान करें। हमारा जीवन निश्चित रूप से सफलता को प्राप्त करेगा। कालान्तर मेें माता पिता की भक्ति अपूर्ण होती थी। आज की पीढ़ी में माता पिता के प्रति रवैया एक चिन्तनीय और सोच का विषय बन गया है। जाग जाग रे ज्योति पूंज अवसर निकल रहा। जो समय बीत जाता है वो लौटकर नहीं आता है। जो समय को नष्ट कर देता है समय उसको नष्ट कर देता है। जो समय को जानकर उसका सदुपयोग कर लेता है उसे अनमोल अवसर मिल जाता है। हम व्यर्थ कार्यों में समय न गंवाकर अपना मन धर्म में लगाये। साध्वी जयामिश्री ने साधुमार्गी जैन परम्परा के आठवें आचार्य समता विभूति स्वर्गीय नानालाल का जीवन परिचय बताया । साध्वी शाश्वतश्री ने प्रवचन के प्रारम्भ में अन्तगढ़ सूत्र का वाचन किया। त्याग प्रत्याख्यान में जितेन्द्र छाजेड ने 9, अशोक पारख और किशोर बोहरा, कविता सांखला, दिव्या मुथा,रमेश मुथा ने 8 उपवास,रमेश मालू,जसराज गुलेच्छा, दिलीप चौरडिया, शर्मिला चौरडिया,आशीष मिन्नी, मानसी भण्डारी, प्रियल सांखला, पलक सांखला,अनिता गुलेच्छा आदि ने 7 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये । लीलादेवी चौपड़ा ने आज से 8 दिन तक मौन व्रत के प्रत्याख्यान लिए। सौरभ बुरड़ का 8 दिवसीय नीवि तप गतिमान है । 6,7 और 8,9,34 उपवास आदि कई प्रत्याख्यान गुप्त रूप से भी चल रहे हैं। नवकार महामंत्र का जाप दोनों जगह निरन्तर रूप से चल रहा है। प्रवचन का समय दोनों ही स्थलों पर  प्रात: 8.30 बजे का रखा गया है।दोनों ही स्थलों पर कल सम्वतसरी महापर्व समारोहपूर्वक रूप से मनाया जाएगा। दोनों स्थलों पर पुरूषों एवं महिलाओं के लिए प्रतिकमण की  व्यवस्था भी रखी गई है।पर्युषण पर्व के दौरान श्रावक, श्राविकाओं द्वारा सामायिक, प्रतिकमण, एकासन,आयम्बिल,उपवास, बेला, तेला,अठाई,दया भाव, दया व्रत,धार्मिक प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम, कल्पसूत्र  आदि का श्रवण एवं अनेकों तप,त्याग एवं धर्म आराधना के कार्य किए जा रहे हैं। प्रतिदिन  प्रवचन  के पश्चात्‌ समता  युवा संघ द्वारा धार्मिक परीक्षा  का भी आयोजन रखा गया है।संचालन गुलाब चौपड़ा द्वारा किया गया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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