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कहानी : स्वर्ग में अखबार

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लेखिका : राखी पुरोहित

(यह कहानी 27 सितंबर 2010 काे राजस्थान पत्रिका में प्रकाशनार्थ भेजी थी, मगर प्रकाशित नहीं हुई।)

स्वर्ग में सबकुछ था, मगर कोई अखबार नहीं था। हालांकि खबरों की कोई कमी नहीं थी, क्योंकि नारद मुनि रोज नए समाचार लाते थे, मगर देवता परेशान हो गए। एक दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर तय किया कि एक ऐसा अखबार निकाला जाए जो स्वर्ग में देवताओं को नए-नए समाचार दे। इस समाचार पत्र में धरती की भी रोचक खबरें दी जाए। यह अखबार शुरू-शुरू में तो स्वर्ग में ही वितरित किया जाए। भविष्य में उसे धरती पर भी प्राणी मात्र के लिए निशुल्क वितरित किया जाए।

अब प्लानिंग पूरी हो गई। अखबार का नाम रखा गया- न्याय भास्कर। इस अखबार को रोचक बनाने के लिए कई तरह के संवाददाता स्वर्ग में नियुक्त किए गए। संपादक गणेशजी को बनाया गया। अब सवाल आया कि धरती पर किस को संवाददाता बनाया जाए जो रोचक-रोचक खबरें लाएं। आखिर तय हुआ कि नारद मुनि को एक बार फिर धरती पर भेजा जाए और वे ही धरती से कवरेज करे। नारद मुनि इसके लिए तैयार नहीं हुए और बोले- ‘भगवन मृत्यु लोक पर पाप बहुत बढ़ गए हैं। वहां अनाचार का बोलबाला है। कहीं ऐसा न हो कि आपका अखबार धरती की नकारात्मक खबरों से भर जाए और आप तंग आकर फिर से अवतार ही ले लें।’

भगवान बोले- ‘नारद, यह तो बाद की बात है। पहले तो आप अपने दायित्वों का निर्वाह करें और मृत्यु लोक से खबरों का संकलन कर लाएं।’

‘जो आज्ञा भगवन, जैसा आप कहें। मैं धरती से स्वर्ग के अखबार के लिए जरूर कवरेज करूंगा।’

अब नारद मुनि धरती पर आए। उन्होंने आम आदमी का रूप धरा और उनका पहला कदम फिलीपिंस की धरती पर पड़ा। वे यहां की चकाचौंध देखकर दंग रह गए। सोचने लगे अब भला कौनसी खबर दी जाए। उन्होंने चारों तरफ नजर दौड़ाई। उन्हें सामने एक अदालत नजर आई। नारद मुनि ने सोचा क्यों न इस अदालत से ही कोई खबर उठाई जाए। बस जा पहुंचे अदालत में। नारद मुनि ने मालूम किया। आज अदालत में किसी महत्वपूर्ण मामले में निर्णय होना था। वे सबसे अंतिम कुर्सी पर जाकर बैठ गए। अब अदालत शुरू हुई।

जज बोला- ‘मुजरिम हैनरी का दोष साबित हो चुका है। उसने अपनी बेटी के साथ साल भर बलात्कार किया है। यह मानवता के नाम पर बदनुमा दाग है। यह रिश्तों-नातों और कुदरत की बनाई व्यवस्था की हत्या से भी बढ़कर अपराध है। भगवान के सामने भी अगर यह मामला आता तो अपराधी को सख्त से सख्त सजा देता। आज मैं न्याय के आसन पर बैठ कर निर्णय करूंगा। मैं नहीं जानता यह सजा कैसे पूरी होगी। मगर इससे कम सजा नहीं दूंगा। अगर कहीं भगवान है तो वह इस सजा को पूर्णता प्रदान करेगा। चूंकि एक बार के बलात्कार की कम से कम 40 साल की सजा होती है। इसलिए साल भर यानी 360 दिन बलात्कार करने की प्रति बलात्कार 40 साल के हिसाब से 14400 साल की कैद की सजा सुनाता हूं। मैँ इससे कम सजा सुना नहीं सकता। मुजरिम अभी 45 साल का है। सौ साल भी वह जिंदा रहता है तो उसे 55 साल और सजा होगी। लोग हंसेंगे कि 14400 साल की सजा पूरी कैसे होगी? लेकिन मैं तो आज न्याय के सिंहासन पर बैठा इस अपराध के लिए इससे कम सजा नहीं दूगा। ‘ और यह कहते हुए जज ने यह सजा मुजरिम हैनरी को सुना दी।

नारद मुनि के लिए यह रोचक खबर थी। उसने पूरी डिटेल एकत्रित की। उसने एक आम पत्रकार के रूप में उस अपराधी से बात भी की। अपराधी से नारद मुनि ने सवाल किया- ‘आपको 14400 साल की सजा सुनाई गई। आप मुश्किल से 55 साल और जिएंगे, फिर पूरी सजा कैसे भुगतेंगे? ‘ हैनरी हंसा..बोला- ‘जज पागल है। मैं अभी सुप्रीम कोर्ट जारूंगा।  हो सकता है, बरी हो जाऊं।’ कुल मिलाकर पहली रिपोर्ट तैयार कर नारद मुनि स्वर्ग पहुंचे। बोले- ‘हे तीनों देवताओं। सृष्टि के रचयिता। धरती की अदालत में एक रोचक मामला प्रकाश में आया है।’ ब्रह्माजी बोले- ‘कहो महर्षि, क्या खबर है? ‘ नारदजी ने अदालत द्वारा हैनरी को सुनाई सजा के बारे में बताया और कहा कि ब्रह्माजी आप तो सृष्टि के रचयिता हैं। आपने मृत्यु लोक पर सभी प्राणी को 100 साल की उम्र दी है। किसी को कुछ साल अधिक दे देते हैं। अब भला 14400 साल की सजा अपराधी को कैसे मिलेगी? आपको नहीं लगता जज पगला गया है? अब इस खबर को आप छोपोगे तो देवता भी आप पर हंसेंगे और कहेंगे कि धरती पर लोगों को पूरी सजा मिलती नहीं। फिर हमारे अखबार की विश्वसनीयता भी खतरें में होगी।

ब्रह्माजी ने भगवान शिव से कहा- भोलेनाथ आपका क्या कहना है? भोलेनाथ हंसने लगे। बोले- ‘धरती पर ऐसी सजा दी गई है तो पूरी तो होनी ही चाहिए। इस मामले में विष्णुजी ही कुछ करेंगे। जब-जब सृष्टि का बनाया विधान खतरे में पड़ा तब-तब विष्णुजी ने दुनिया को रास्ता दिखाया। भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए तो नृसिंह का रूप भी उन्होंने धरा था। अब वे ही कुछ करेंगे।’ विष्णुजी हंसे। बोले- ‘वह जज नित्य मेरी पूजा करता है। वह जीवन में ईमानदार है। उसने न्यास के सिंहासन पर बैठकर सदा सच्चा न्याय किया है। न्याय चाहे इंसानों का हो या देवताओं का, न्याय की रक्षा होनी ही चाहिए। हम इस सजा को पूर्णताा देंगे।’

कैसे? नारद मुनि ने आश्चर्य से पूछा।

विष्णुजी ने गणेशजी से कहा- बुद्धि के देव इस खबर को नारदजी से कहकर जितना जल्दी हो तैयार करवाओ। एडिट भी तुरंत करवाओ। अखबार ऑलरेडी लेट हो रहा है। जल्दी ही यह खबर तैयार करवाओ। लेट बिलकुल भी नहीं होना है। नारद की इस खबर के नीचे मेरी विशेष टिप्पणी होगी।

बस फिर क्या था- नारदजी ने खबर तैयार की। खबर कुछ इस प्रकार थी-

बेटी से दुष्कर्म, 14400 साल की सजा

फिलीपिंस, 25 सितंबर। फिलीपिंस की एक अदालत ने एक पिता को अपनी बेटी का बलात्कार करने का दोषी पाए जाने पर 14400 साल की कैद की सजा सुनाई है। पेशे से रिक्शा चालक इस शख्स ने अपनी बेटी के साथ करीब साल भर बलात्कार किया जब उसकी पत्नी काम के सिलसिले में हांगकांग में थी। हैनरी नाम के इस शख्स पर हर दिन रेप करने करने के आरोप में साल भर के हिसाब से 360 बार बलात्कार करने की सजा सुनाई। इस तरह उसे 14400 साल की जेल की सजा हुई। यह खबर मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित हुई। उसके नीचे भगवान विष्णु की विशेष टिप्पणी थी-

देवताओं इस व्यक्ति की सजा इस तरह पूरी होगी। जिंदगी के 55 साल यह धरती की जेल में सजा भुगतेगा। जब इसकी जेल में मौत होगी तब जेल में ही इसका दाह संस्कार किया जाएगा। बाद में इसका जन्म इस ब्रह्मांड में ऐसे ग्रह पर होगा जिसका नाम हैनरी ग्रह है। यह ग्रह इस सुदूर ब्रह्मांड में गतिशील है। यहां लोगों की उम्र 15 हजार साल की होती है। हैनरी भी इसी ग्रह पर आज से ठीक 55 साल बाद जन्म लेगा और वहां यह बाकी की सजा पूरी करेगा।

अखबार का पहला अंक स्वर्ग में वितरित किया गया तो देवताओं को बड़ी प्रसन्नता हुई। सभी देवता नारद मुनि की तारीफ कर रहे थे जो धरती से ऐसी रोचक खबर लाए। अब सभी देवता चाहते थे कि धरती से उन्हें ऐसी ही रोचक खबरें पढ़ने को मिले। विष्णु भगवान मुस्कुरा रहे थे और नारद मुनि अगली खबर के लिए पृथ्वी लोक की ओर चल पड़े और उनकी आवाज सुनाई दी- नारायण..नारायण…नारायण…।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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