कविता : नाचीज बीकानेरी
बेटियां जिस आंगन में जन्मी खेली-पली-पढ़ी बेटियां उस आंगन को छोड़ दूजै आंगन से समझौता कर लेती है प्यारी बेटियां मां-बाप के लाड-प्यार सौ सुखों को त्याग कर अपनों की आंखों में आंसू अपनों से विदाई का पल बाबुल के घर से जाती बेटियां सपने में भी नहीं देखा कभी वो घर, दीवार-ओ-दर कभी सब … Read more