श्री जागृति संस्थान के अंदाज अपना-अपना कार्यक्रम में खूब जमा रंग
पंकज जांगिड़. जोधपुर
वरिष्ठ कवि अशफाक अहमद फौजदार की पंक्तियां- मोम की गुड़िया ने सूरज से बगावत की, दुनिया वालों उसने भी क्या हिम्मत की और युवा कवयित्री सुनीता शेखावत की पंक्तियां- कहां से आ गई मोमबत्तियां आबरू की निशानी…ने नेहरू पार्क स्थित डॉ. मदन सावित्री डागा साहित्य भवन का सन्नाटा तोड़ दिया और भवन में मौजूद हर शख्स को सोचने पर मजबूर कर दिया जब जोधपुर में ढाई साल की मासूम और देश भर में महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म की पीड़ा और त्रासदी को कविता के माध्यम से शब्द दिए गए और इस मुद्दे पर कवियों का दर्द फूट पड़ा। शब्दों के माध्यम से हर किसी ने ऐसी घटनाओं की निंदा की और कहा कि अब नारी को खुद जागना होगा।
श्री जागृति संस्थान की ओर से आयोजित गोष्ठी अंदाज अपना अपना में तीन दर्जन से अधिक रचनाकारों और प्रबुद्ध लोगों ने शिरकत की और रचनाओं के माध्यम से देश-दुनिया के ज्वलंत मुद्दों को रेखांकित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आध्यात्मिक मनीषी शिवप्रकाश अरोड़ा ने अपनी रचनाएं सुनाई और श्रीकृष्ण के गीता ज्ञान को रेखांकित किया। अरोड़ा ने कहा कि श्रीकृष्ण ने नारी जाति के सम्मान और गरिमा का ध्यान रखा इसीलिए उन्हें श्रीकृष्ण कहा जाता है। अरोड़ा ने कहा कि आत्मा ही आनंद का स्वरूप है और आत्मा से ही सुख-दुख का अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपने कर्मों की सजा मिलती है। आत्मा तो जानने के लिए शरीर एक वाहन के रूप में साधन है। वरिष्ठ कवि श्याम गुप्ता शांत ने अपनी व्यंग्य कविता के माध्यम से टेलीफोन पर होने वाली रोचक बातचीत को शब्द दिए। हर्षद भाटी ने- दुनिया हुई वीरान आज उनको भुलाने के बाद…पंक्तियां सुनाकर दाद लूटी। अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ कवयित्री लीला कृपलानी ने संबंधों को बचाने के लिए तीन स यानी समय, संयम और सम्मान पर जोर दिया। उन्होंने इस विषय पर अपनी ताजा कविता भी सुनाई और कहा कि सभी लोगों को संबंधों को बचाने के लिए समय रहते प्रयास करने चाहिए।
इन रचनाओं ने भी खूब प्रभावित किया
ओमप्रकाश वर्मा ने हास्य रस की कई रचनाएं सुनाई। मास्टरजी की दो बेटियां..कविता ने खूब गुदगुदाया। आशा पराशर ने तेरे बस में फर्ज है, कोई अधिकार नहीं…, वीणा अचतानी ने ये समंदर के वो मोती है जिससे इंसान की पहचान होती है…,नीलम व्यास ने सुख-दुख पर सार्थक कविता सुनाई। राखी पुरोहित ने अनचाही कविता के माध्यम से नारी की पीड़ा को शब्द दिए। मंजू प्रजापति ने जिण धरती नै स्वर्ग सूं देव पूजण नै आवै…, संजिदा खानम शाहीन ने किस्मत में मेरे गम ही लिखा, पर तुम खुश रहना…पंक्तियों से हॉल की खामोशी तोड़ दी। तृप्ति गोस्वामी काव्यांशी ने जन्माष्टमी पर कविता सुनाते हुए श्रीकृष्ण के जन्म की कथा को शब्द दिए। महेश कुमार पंवार ने व्यंग सुनाया। जेके माहेश्वरी ने संस्मरण विधा में रचना सुनाई। रजनी अग्रवाल ने तिनका-तिनका जोड़ा है, फिर भी कितना थोड़ा है…रचना सुनाकर व्यक्ति के पुरुषार्थ पर जोर दिया। भीमराज सैन ने समसामयिक रचना सुनाकर दाद लूटी। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित किया और श्री जागृति संस्थान के मीडिया मैनेजर पंकज जांगिड़ ने सरस्वती वंदना की।