सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)
विद्या भारती विद्यालय आदर्श विद्या मंदिर बोरुंदा में मातृ सम्मेलन का आयोजन मंगलवार को किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता सुमन कुमावत व सन्त सेवाराम महाराज तथा संरक्षक हस्तीमल दाधीच ने मां सरस्वती, भारत माता और ओम के समक्ष दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ किया।
मुख्य वक्ता सुमन कुमावत ने संबोधित करते हुए कहा कि नारी ही परिवार की धुरी होती है। राम, कृष्ण जैसी संतान के लिए माता यशोदा बनना होता है। माता जीजाबाई की तरह हर स्त्री मन में धारण कर ले तो शिवाजी जैसी श्रेष्ठ संतान का निर्माण संभव है। शिक्षा के साथ संस्कारों पर ध्यान देना आवश्यक है। संस्कार विहीन शिक्षा परिवार और समाज के लिए हानिकारक हो सकती है। प्रधानाचार्य सत्यनारायण वैष्णव ने आगंतुक महानुभावों का परिचय करवाया व विद्यालय प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। संत सेवाराम महाराज ने बताया कि वर्तमान समय में उच्च शिक्षित व्यक्तियों द्वारा ही अपराध अधिक हो रहे है। यह शिक्षा में संस्कारों के अभाव के कारण हो रहा है। हमें पराई स्त्री को माता के समान मानना चाहिए। हमें अपने पूर्वजों की शिक्षा वर्तमान पीढ़ी को देनी है। साथ ही उन्होंने बताया कि हम जड़ चेतन दोनों में भगवान मानते हैं। हम नदी गाय और धरती को माता मानते है। हमें पर्यावरण को बचाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना और अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए। सामाजिक समरसता का भाव जगे।
इस पावन अवसर पर 110 मातृशक्ति के साथ-साथ विद्यालय के आचार्य दीदी भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का मंच संचालन आचार्या ममता भाटी ने किया।
