Explore

Search

Monday, March 24, 2025, 9:41 pm

Monday, March 24, 2025, 9:41 pm

LATEST NEWS
Lifestyle

हवा का रुख…साहित्य में ‘हवा’ का कई अर्थों में प्रयोग होता है, बीकानेर के कवियों ने ‘हवा’ को ‘हवा’ दी

Share This Post

प्रकृति और कविता का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है : कमल रंगा

काव्य रंगत-शब्द संगत की दसवीं कड़ी आयोजित, शीर्षक था- ‘हवा’

राखी पुरोहित. बीकानेर

प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपनी मासिक साहित्यिक नवाचार के तहत प्रकृति पर केन्द्रित ‘काव्य रंगत-शब्द संगत‘ की दसवीं कड़ी लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन नत्थूसर गेट बाहर संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि प्रकृति और कविता का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। प्रकृति अपने विभिन्न रूपात्मक विराट प्रसार को लेकर मनुष्य के ह्रदय पर अनेक संस्कार डाला करती है, जिससे प्राकृतिक सौन्दर्य के प्रति मनुष्य का सहज आकर्षण हो जाता है, उसकी अभिव्यक्ति साहित्य में प्रकृति के संश्लिष्ट चित्रण का निरूपण करके की जाती है।

रंगा ने आगे कहा कि आज की दसवीं कडी में विशेष आमंत्रित कवि-शायरों ने प्रकृति के नैसर्गिक स्वभाव को ’हवा’ के विभिन्न पक्षों को उकेरते हुए काव्य रस धारा से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में काव्य पाठ करते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी कविता-कैया करे हवा रौ रूख समझ लेवै बो मिनख/पण म्हैं नीं मानूं/असल में हवा रौ रूख बदल देवै बो हुवै मिनख….प्रस्तुत कर हवा का मानवीयकरण करते हुए नए संदर्भ एवं नव बोध के साथ कविता प्रस्तुत कीं। इस महत्वपूर्ण काव्य संगत में श्रीमती इन्द्रा व्यास, डॉ गौरीशंकर प्रजापत, क़ासिम बीकानेरी, कैलाश टाक, बाबूलाल छंगाणी ‘बमचकरी’, डॉ. नृसिंह बिन्नाणी, यशस्वी हर्ष, गिरिराज पारीक, इंजि. ऋषि कुमार तंवर, हरिकिशन व्यास ने अपनी हवा पर केन्द्रित गीत, कविता, गजल, हाइकू एवं दोहों से सरोबार इस काव्य रंगत में शब्द की शानदार संगत करी।

काव्य रंगत में वरिष्ठ कवियत्री श्रीमती इन्द्रा व्यास ने-वायु तु ना बिगाड़े स्वरूप थांरौ…. पेश कर हवा के रूप-स्वरूप को रेखांकित किया। वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने-अपने शेर झुम कर प्यारे तराने/जब सुनाती है हवा…..सुनाकर हवा की रंगत को रखा। वरिष्ठ कवि कैलाश टाक ने-मैं हवा हूं/जैसा तू चलाएगा….. प्रस्तुत कर हवा और मनुष्य के रिश्तों को रेखांकित किया तो वरिष्ठ हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने-जब तक यह है/तब तक ही दम है….. के माध्यम से हवा के महत्व को उकेरा। वहीं वरिष्ठ कवि डॉ. नृसिंह बिन्नाणी ने अपने ताजा हाइकू के मार्फत कहा-चेहरे पर/हवाएं उड जाती/झुठे लोगांे की इसी क्रम मंे युवा कवि गिरिराज पारीक ने-सौ दवा से बेहतर है/एक शुद्ध हवा……प्रस्तुत कर हवा के कई गुणों को रेखंाकित बताया। इसी क्रम मंे युवा कवि यशस्वी हर्ष ने अपनी ताजा ग़ज़ल के उम्दा शेर पेश कर कहा-फिज़ा सियासत की बेईमान हैं…. तो कवि इंजि. ऋषि कुमार तंवर ने-हवा के वैज्ञानिक तत्वों को रखकर कहा-वायुमण्डल की रक्षा परत है/जीवन की यह ढाल महान…… काव्य गोष्ठी में गीतकार हरिकशन व्यास ने अपना हवा पर केन्द्रित गीत प्रस्तुत किया।

प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूख चौहान ने आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम में भवानी सिंह, पुनीत कुमार रंगा, हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, नवनीत व्यास, सुनील व्यास, कार्तिक मोदी, अख्तर अली, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा, कन्हैयालाल पंवार, बसंत सांखला आदि ने काव्य रंगत-शब्द संगत की रस भरी इस काव्य धारा से सरोबार होते हुए हिन्दी के सौन्दर्य, उर्दू के मिठास एवं राजस्थानी की मठोठ से आनन्दित हुए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने बताया की अगली ग्यारहवीं कड़ी मार्च माह में ‘आग’ पर केन्द्रित होगी। अंत मंे सभी का आभार युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment