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Sunday, April 20, 2025, 6:22 pm

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कविता : मैं परकोटा हूं….

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कवि : नाचीज बीकानेरी

मैं परकोटा हूँ

मैं परकोटा हूँ
न जाने कब से खड़ा हूँ
मेरा इतिहास बड़ा है
मैं कई युद्धों व योद्धाओं का प्रत्यक्षदर्शी हूँ ।

मैं कब-क्यों- कैसे बना ?
ये सब पुरातत्व विभाग से पूछो
अभिलेखागार की बहियों से जानो
मैं कब से खड़ा हूँ, मेरे खण्डहरों से अंदाज लगाओ ।

मैंने कितने प्रहार सहे हैं
मैं रक्षक रहा, मेरे कारण दुश्मनों की तोड़ी आशाएं
मैं रक्षक बन तब से अब तक
आन – बान की खातिर खड़ा हूँ ।

मेरे अस्तित्व में आने की कहानी
सामन्तवाद की रक्त-रंजीत सोच
जनता का शोषण, अमीरों का पोषण
गरीबों के खून-पसीने का मैं प्रमाण हूँ ।

मैं गरीबों की आह हूँ
राजघराने की चाह हूँ
सैलानियों की मनोरंजन गाह हूँ
फिर भी मुल्क की धरोहर हूँ ।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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