डीके पुरोहित. उदयपुर
क्या मेवाड़ फिर से सत्ता का प्रवेश द्वार बन पाएगा, इसी सवाल के चलते सियासी हलके की नजर खास तौर पर मेवाड़ पर है। प्रदेश की सियासत में माना जाता है कि जिसने मेवाड़ जीता, प्रदेश में सत्ता उसी की। यानी उदयपुर-बांसवाड़ा संभाग के 8 जिलों की 33 विधानसभा सीटों में से जो दल ज्यादा सीटें जीतने में सफल होता है, सरकार उसी की बनती रही है। एक मात्र 2018 के चुनाव को छोड़कर अब तक के इतिहास में यही होता आया है। पिछले चुनाव में मेवाड़ की इस खासियत को प्रदेश का पूर्व हिस्सा छीन ले गया था।
हालांकि इस बार मेवाड़ नेतृत्व की शून्यता से जूझ रहा है। राजस्थान की सियासत को मोहनलाल सुखाड़िया, शिवचरण माथुर और हरिदेव जोशी जैसे चेहरे देने वाले मेवाड़ में न तो कांग्रेस के पास सर्वमान्य चेहरा है न भाजपा के पास। ऐसे में कांग्रेस सीएम अशोक गहलोत और भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ चुनाव मैदान में कूद चुकी है। पीएम मोदी की जयपुर में गत 25 सितंबर को हुई सभा में मेवाड़-वागड़ से हजाराें पदाधिकारी-कार्यकर्ता शामिल हुए। खुद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल ने उदयपुर आकर यहां से कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित कराई थी। इसके बाद पीएम की 2 अक्टूबर को सांवलियाजी में जनसभा हुई उसमें भी भाजपा ने मेवाड़ का दम दिखाया।
दूसरी ओर सीएम अशोक गहलोत पिछले एक साल में मेवाड़-वागड़ के 25 से ज्यादा दौरे कर चुके हैं। पिछली 3-4 अक्टूबर का उदयपुर-राजसमंद-बांसवाड़ा-चित्तौड़गढ़ का दौरा रद्द होने के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनका अगला कार्यक्रम तय होने का इंतजार है। यह उदयपुर में कांग्रेस का इस चुनाव से पहले सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन होगा। क्योंकि टिकट वितरण में देरी के कारण मेवाड़ में अभी कांग्रेस नेताओं के दौरे पूरी तरह शुरू नहीं हो पाए हैं। बहरलाल कांग्रेस भाजपा दोनों ही दल यहां अपने दावेदारों की जमीनी हकीकत पता करने के लिए एक के बाद एक कई सर्वे करा चुके हैं। उदयपुर की सबसे हाॅट सीट वल्लभनगर में कांग्रेस, जनता सेना, रालोपा और भाजपा के बीच चतुष्कोणीय मुकाबले का बिगुल बज चुका है। वागड़ में बीटीपी अपनी जमीन मजबूत करने में जुटी है और अब टिकट जारी होने का इंतजार है। भाजपा उदयपुर की आठ सीटों में से खेरवाड़ा में नानालाल अहारी को उतार चुकी है।
