सीमा मूथा जोशी
सूबै उठतां ई बलबळती चाय रौ कप लेय नै महेश रौ अखबार पढ़ण रौ कोड हो। महेश नै राजनीती री खबरां घणी चोखी लागती । लारला पांच साल पूरा हुयां पाछा चुनाव नैड़ा आयग्या हा। महेश रै घरै उणरौ बेटो कृष्णा पापा सूं पार्टी रै वास्ते झिकाळ करतो ई रैंवतौ । बात आ ही के बाप जिकी पार्टी रौ बोलता बेटो उणरै विरोध में हो। दोनां बिचाळै इण रोज री झिकाल सूं कृष्णा री मां ‘आशा’ काठी कंटाळ जांवती। एक दिन अख़बार में खबर ही के एक पार्टी लुगायां सारूं निरा कांम करिया है, पढ र महेश झट सूं हेलौ पाड़ियौ- सुण कृष्णा री माँ, देख म्हारी पार्टी री तारीफ छपी है। देख कृष्णा देख, म्हारी पार्टी रौ कांम। बेटो तपाक सूं बोल्यौ – म्हांरी पार्टी लुगायां नै आगे बढावण रौ कांम करै , थांरली पार्टी ज्यूं लिखै कोनी । महेश आपरी धणियांणी नै फेर हेलौ पाडियौ- देख भागवान थांरौ औ बिगड़्योड़ौ पूत कईं कैवै ! बेटो पाछौ कैवै हो- हां, सुण लो पापा रा सगळा झूठ। अर आप तो लुगाई हो, आप इज न्याय करो। आशा दोई बाप बेटे रे बीच फ़सगी। ना इण कानी अर ना उण कानी बोल सके, एक कानी बोलै तो दूजो रूठ जावे। अबखी में पज्योड़ी, करै तो कईं करै! वा सोचता सोचता आपरौ दिमाग़ लगायौ अर बोली – सुणो, थां दोई इयां लड़ो मती, म्है थांरी दोई पार्टियां नै एक एक वोट दिराय देसूं , म्है थारे पापा री पार्टी नै अर कृष्णा थारी नानी सूं थारी पार्टी नै वोट देवण रौ कैय देसूं, बस अबै तो दोई राजी! इण पछै भी थे लड़ाई बंद नीं करो तो म्है इज तीजी पार्टी सूं चुनाव लड़ लू ला, पछे दोई कठैई नी जावोला अर लड़ाई रौ पाप कट जावेला । चालो अबै जीमो परा। बड़ियां मेथी रो साग है, ठंडौ चोखी नी लागेला। दोई बाप बेटा हसता हसता जीमण नै बैठग्या अर बातां चालती रयी।