(भंवरलाल पुरोहित बाबाजी फाइल फोटो।)
आज पुण्यतिथि पर विशेष : मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की नींव रखने वाले अनेक सामाजिक आंदोलनों के पुरौधा ओर संघ के कर्मठ कार्यकर्ता, आदर्श विद्या मंदिर जैसलमेर के संस्थापक सदस्यों में रह चुके हैं बाबाजी, समाज उनके बताए पथ पर हमेशा चलता रहेगा, युवाओं के लिए सदैव आदर्श रहेंगे
कैलाश बिस्सा. जैसलमेर
जैसलमेर में जब हिंदू धर्म की उपेक्षा की जा रही थी तब भंवरलाल पुरोहित बाबाजी ने अपने पुरुषार्थ और वैचारिक क्रांति से अलख जगाई। पुष्करणा पुरोहित परिवार में जन्में बाबाजी जैसलमेर के कुल गौरव हैं। उन्होंने अनेक सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। संघ पृष्ठ भूमि के बाबाजी आदर्श विद्या मंदिर के संस्थापक सदस्यों में एक रहे हैं और जैसलमेर आदर्श विद्या मंदिर के अंतिम समय तक पदाधिकारी रहे। उन्होंने ही जैसलमेर के गड़ीसर पाल पर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की नींव रखी और उन्हें अपनों हाथों से संवारा। आज जैसलमेर में मुक्तेश्वर महादेव मंदिर रमणिक पर्यटन स्थल है। यहां पर मौत और गमी के बाद अनुष्ठान किए जाते हैं। हर सोमवार को यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और श्रद्धालु महादेव का अभिषेक करते हैं। जैसलमेर में मुक्तेश्वर महादेव मंदिर काफी प्रसिद्ध है और इसे बाबाजी ने अपने खून पसीने से सींचा। वे अंतिम समय में खूब बीमार रहे।
एक समारोह में पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला ने बाबाजी की तुलना स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस से की थी। रामकृष्ण परमहंस काली के पुजारी थे और भक्त के जीवन में हमेशा कठिनाई आती है। कल्ला ने कहा कि बाबाजी भी महादेव के अनन्य भक्त थे और उनके जीवन काल में अनेक कठिनाइयां आईं। अंतिम समय में वे गंभीर बीमारियों से घिर गए और खूब परेशान रहे। लेकिन मुक्तेश्वर महादेव मंदिर उनका ठिकाना रहा और महादेव की आराधना अंतिम सांस तक करते रहे। जैसलमेर में संघ के जमाने के बाबाजी ने पुष्करणा समाज को नई दिशा दी। उनके पुत्र रसाल पुरोहित भी संस्कृत के विद्वान थे और उनका भी देहांत हो चुका है। बाबाजी ने जीवन में अनेक संघर्ष किए और उन्होंने पुष्करणा समाज को नई दिशा दी। युवाओं को उनके जीवन के बारे में जब पता चलता है तो ऐसे सपूत के प्रति नतमस्तक हो जाते हैं। पुष्करणा समाज की ओर से आज उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। राइजिंग भास्कर परिवार की ओर से ऐसे सपूत और पुष्करणा गौरव को नमन।
