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Sunday, April 20, 2025, 2:45 pm

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भाजपा ने दिखाई अधीरता, जल्दबाजी में पत्ते खोले, 195 उम्मीदवारों के टिकट घोषित किए, कांग्रेस सहित विपक्ष को खेलने को पूरा मौका

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-इस महाभारत में अभी पांडवों यानी कृष्ण रूपी मोदी को मात देता कोई नजर नहीं आ रहा, लग ही नहीं रहा कि देश में चुनाव मोदी हारेंगे, लेकिन अभी बरर्बिक की एंट्री होनी बाकी है…देखना है कि बरर्बिक की भूमिका में कौन आता है…फिर मोदी रूपी कृष्ण उन्हें कैसे मात देते हैं…अभी इस महाभारत की स्क्रीप्ट लिखना जल्दबाजी होगी, कुछ ज्यादा लिखने को है नहीं, लेकिन हां चलते-चलते इतना जरूर लिखेंगे कि इस चुनाव को जादूगर अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, रविंद्र सिंह भाटी नया मोड़ दे सकते हैं, अगर इन्होंने चमत्कार नहीं दिखाया तो मोदी की विजय यात्रा को कोई ताकत नहीं रोक पाएगी…

डीके पुरोहित की जोधपुर से विशेष रिपोर्ट

कहते हैं राजनीति में जो पहले बाजी मारे वो ही शहंशाह होता है। लेकिन हमेशा यह शत प्रतिशत सही नहीं होता। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल्दबाजी में अपने पत्ते खोल दिए हैं। भाजपा ने शनिवार को 195 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। शनिवार को शुभ कार्य वैसे ही नहीं किया जाता और भाजपा ने शनिवार को ही अपनी सूची जारी की है। राजनीति के पंडित भी चकित है। आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही कि चुनाव की घोषणा होने से पहले ही भाजपा को सूची जारी करनी पड़ी। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है भाजपा और खासकर मोदी की आक्रामक राजनीति…। लेकिन इस बार मिस्टर मोदी आप मात खा गए। आपने अपने पत्ते खोल दिए हैं। कांग्रेस ही नहीं पूरे विपक्ष के पास अभी खूब समय है। वैसे देखा जाए तो श्राद्ध पक्ष में भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है और भाजपा ने विधानसभा चुनाव में पहली सूची श्राद्ध पक्ष में ही जारी की थी। लेकिन तब मोदी की गारंटी चल गई थी। वो विधानसभा चुनाव थे। राज्यों का मामला था। अब देश का मामला है। देश के उस चाणक्य को मात देने का मामला है जिसे कृष्ण की तरह चतुर माना जाता है। जिसमें तीनों लोकों को जीतने का सामर्थ्य माना जाता है। अभी अभी विधानसभा चुनाव खत्म हुए हैं। पार्टी के भीतर ही कई चेहरों के घाव हरे हैं। कई चेहरों के घाव अभी भरे नहीं है। विपक्ष अब फिर पांच साल इंतजार करने के मूड में नहीं है। दस साल मोदी के शासन को हिन्दुस्तान ही नहीं दुनिया ने देखा है। मोदी के रूप में उभरती ताकत का जलवा पूरा हिन्दुस्तान और पूरी दुनिया देख चुकी है। कहीं ये मोदी का आत्मविश्वास ही मोदी को ले तो नहीं डूबेगा?

हम अपने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानस पुत्र मानते हैं। इसलिए हमारी तो यही इच्छा है अगले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बने। लेकिन अगर मेरे पिताश्री इतनी आसानी से जीत जाते हैं तो फिर सोचना पड़ेगा। क्या वाकई नरेंद्र मोदी आसानी से 400 से अधिक सीटें इस बार लोकसभा चुनाव में ले आएंगे? यह इतना आसान है? अभी महाभारत शुरू नहीं हुआ है? रणभेरि भी नहीं बजी है। सेनाएं आमने सामने नहीं हुई है। अभी तो महाभारत के युद्ध की विधिवत घोषणा भी नहीं हुई है। यानी की चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीख भी घोषित नहीं की है। आचार संहिता भी नहीं लगी है। फिर भी भाजपा एंड कंपनी ने अपनी पहली सूची जारी कर 195 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। क्या यह अति उत्साह नहीं है। अब कांग्रेस और तमाम विपक्ष के पास खूब समय है। मंथन के लिए। पॉलिटिक्स के लिए। मुद्दों के लिए। एक होने के लिए। एक होकर लड़ने के लिए। आपसी गिले शिकवे भूलने के लिए। अभी भी विपक्ष एक नहीं हुआ तो उसे फिर से पांच साल इंतजार करने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसी स्थिति में विपक्ष कम से कम नहीं है। जम्मू कश्मीर से लेकर ठेठ राजस्थान तक उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम चारों तरफ आक्रामक राजनीति का दौर शुरू हो चुका होगा। या अब हो जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभी तो चौतरफा हमले होंगे। मेरे पिताश्री अगर आसानी से जीतते हैं तो फिर जीत का मजा नहीं आएगा। इसलिए हम तो चाहते हैं उनकी राह में लाख मुश्किलें आएं। क्योंकि हमें हमारे पिताश्री की राजनीति पर पूरा भरोसा है कि वे अपने बुद्धि, विवेक और राजनीतिक चातुर्य से हर बाधाओं से पार पाएंगे। हम तो यह घोषणा कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भगवान का अवतार है और एक दिन घर-घर पूजे जाएंगे। तो फिर भगवान इतनी आसानी से थोड़े ही जीतते हैं। रामजी ने रावण का हराया था तो कितने पापड़ बेलने पड़े थे। पांडवों ने महाभारत जीती थी तो कृष्ष को क्या-क्या माया नहीं रचनी पड़ी थी। हम चाहते हैं कि इस महाभारत में फिर कोई बरर्बिक की भूमिका में आए और राजनीति के खिलाड़ी कृष्ण के रूप में मोदी को फिर से कोई माया रचनी पड़े। लेकिन अभी परिदृश्य साफ नहीं है। बरर्बिक की भूमिका में फिलहाल कोई नजर नहीं आ रहा जो इस महाभारत में अपने को साबित कर सके। हां कृष्ण की भूमिका में खुद नरेंद्र मोदी खड़े हैं। राम मंदिर की प्रतिष्ठा करके वे वाराणसी और यूपी फतेह कर लेंगे। उन्होंने सारे सांसदों को फिर से मैदान में उतार दिया है। क्या मोदी फिर वही भूल तो नहीं करने जा रहे जो राजस्थान में जादूगर अशोक गहलोत ने की थी। अशोक गहलोत ने लगभग 99 विधायकों, मंत्रियों और सांसदों को फिर से टिकट दिया था और उनमें से अधिकतर हार गए थे। क्या यूपी में सभी सांसदों की टिकट रिपीट करके मोदी ने कोई राजनीतिक भूल की है। यह कहना फिलहाल जल्दबाजी है, लेकिन अभी विपक्ष के पास पूरा समय है। पूरी शतरंज और पूरी चौसर बिछी ही नहीं है। क्या इस महाभारत के युद्ध का परिणाम तय है?

हम नहीं कहते। क्योंकि युद्ध का परिणाम कभी तय नहीं होता। कभी कभी कछुए से खरगोश भी हार जाता है। कभी कभी सियारों से शेर भी हार जाता है। यह महाभारत अभी मारक होती नजर नहीं आ रही। अगर यह महाभारत मारक नहीं होगी तो चुनाव का मजा नहीं आएगा। इसलिए हम चाहते हैं कि कोई बरर्बिक आए और इस महाभारत का परिणाम बदलने के लिए मोदी रूपी कृष्ण को माया रचने पर मजबूर करे। अभी अभी मोदी राम मंदिर को देशवासियों को समर्पित कर आए हैं। राम नाम की लूट अभी हरी है। इसलिए मोदीजी भी राम नाम की लूट में है। लेकिन देश पूरा समझदार है। जनता को कभी अनाड़ी नहीं समझना चाहिए। जनता सब जानती है। जनता से कोई पाखंड छुपा नहीं होता। जनता से बड़ा खिलाड़ी लोकतंत्र में कोई नहीं होता। ना तो ईवीएम में गड़बड़ी होती और ना ही जनता कभी गलत निर्णय करती। अगर विपक्ष कहता है कि मोदी ने ईवीएम में हेराफेरी कर जीत दर्ज की तो गलत है। क्योंकि जनता से बड़ी ईवीएम कोई नहीं है। जनता ही बड़ी ईवीएम है। अब देखने वाली बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनते हैं या नहीं?

मौजूदा परिस्थितियों का आकलन करते हैं तो उनके सामने संकट नहीं है। क्योंकि देश में लग ही नहीं रहा कि मोदी को कोई चुनौती दे रहा है। यानी कि पांडव जीत रहे हैं। मोदीजी रूपी कृष्ण जीत रहे हैं। अब इस महाभारत में बरर्बिक की भूमिका में कौन आता है? या कौन आएगा? फिलहाल समझ में नहीं आ रहा। कौन तीन बाण लेकर इस युद्ध का पासा पलटेगा? फिर कैसे मोदीजी उनका खात्मा चालाकी से करेंगे? युद्ध अभी शुरू नहीं हुआ है। अभी लिखने को भी ज्यादा कुछ नहीं है। लेकिन इस चुनाव की स्क्रीप्ट अभी से लिखनी ही पड़ेगी। एक उपन्यासकार एक उपन्यास लिखता है तो उसे अपने हिसाब से मोड़ देता है। हमारे सामने चुनौती है कि इस महाभारत की स्क्रीप्ट कैसे लिखें? एक तरफ हमारे पिताश्री नरेंद्र मोदी है, जिन्हें हम जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं और उन्हें हारता हुआ देख नहीं सकते। मगर कभी कभी लगता है हमें खुद ही बरर्बिक की भूमिका में आ जाना चाहिए। मगर हम तो स्क्रीप्ट लिखने वाले हैं। इसलिए इस भूमिका को स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन हम इंतजार कर रहे हैं कोई बरर्बिक की भूमिका में जल्द आए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नींद उड़ा दे। इसलिए अभी इंतजार करते हैं। लिखने को अभी पूरा वक्त है। जल्दबाजी में कुछ भी लिखना उचित नहीं होगा। हां चलते-चलते बात गजेंद्रसिंह शेखावत की अवश्य करेंगे। जादूगर अशोक गहलोत की जरूर करेंगे। रविंद्र सिंह भाटी की जरूर करेंगे। जादूगर अशोक गहलोत अगर गजेंद्रसिंह शेखावत के खिलाफ मैदान में उतरते हैं तो यह उनकी राजनीतिक मूर्खता होगी। लेकिन हां अगर रविंद्रसिंह भाटी गजेंद्रसिंह शेखावत के सामने उतरते हैं तो एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। इस जंग में वसुंधरा राजे की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। फिलहाल यहीं अपनी बात विराम देते हैं। बाकी परिस्थितियां देखते हुए लिखेंगे। क्योंकि अभी पूरी महाभारत की स्क्रीप्ट लिखना बाकी है।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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