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Saturday, April 19, 2025, 12:34 pm

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पद्मश्री चंडीदान देथा का निधन, शोक की लहर छाई, अन्तिम संस्कार आज

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करीब 25 वर्ष के समय तक बोरुंदा के सरपंच रहे, बोरुंदा बंद का आह्वान

सोहनलाल वैष्णव. बोरुन्दा (जोधपुर)

पद्मश्री बोरुंदा के प्रथम निर्वाचित सरपंच चंडीदान देथा पुत्र स्व. तेजदान देथा का शनिवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। गांव सहित आसपास के गांवों में शोक की लहर छा गई। पद्म श्री चंडीदान देथा को कृषि पंडित के नाम से भी जाना जाता था। 1967 में भारत सरकार द्वारा उन्हें कृषि में अभूतपूर्व कार्य करने के चलते पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया था। पद्म श्री चंडीदान देथा ने राजस्थानी साहित्य, लोककला व लोकसंगीत के अप्रतिम संस्थान रूपायन संस्थान की स्थापना के लिए भी जाना जाता है। वे अनुसंधान सलाहकार समिति जीओआई सदस्य भी रहे थे। पूर्व सरपंच चंडीदान देथा उस दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के कार्यकाल में उनके नजदीकी संबंधों के चलते कई बार जयपुर से मुख्यमंत्री सुखाड़िया का बोरुंदा चंडीदान देथा से मिलना आना हुआ था। चंडीदान देथा कृषि में न केवल नवाचार किए बोरुंदा में जहां पहले खेती-बाड़ी बहुत ही कम होती थी यहां बंजर भूमि थी वहां पर खेती-बाड़ी की शुरुआत करते हुए अंगूर की खेती तक कर डाली थी उसी के चलते उनको कृषि पंडित तथा भारत सरकार ने पद्मश्री दिया था। करीब 25 वर्ष तक सरपंच रहते हुए बोरुंदा विकास को लेकर कई अहम कार्य किए। इनके निधन को लेकर रविवार को बोरुंदा बंद का आह्वान किया गया। इनका अंतिम शवयात्रा रविवार प्रातः करीब 9:30 बजे बोरुंदा निवास स्थान से रवाना होकर सार्वजनिक शमशान घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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