अहंकार और ओंकार दो शक्तियां है। ये दो शक्तियां हर युग में अपनी ताकत दिखाती है और आखिर ओंकार के आगे अहंकार का नाश होता है। अहंकार विनाशी है और ओंकार अविनाशी है। इसलिए जगत अहंकार है और जगदीश्वर ओंकार है। इस तरह श्रीकृष्ण ही ओंकार है : पंकजप्रभु
(प्रख्यात जैन संत परमपूज्य पंकजप्रभु महाराज का चातुर्मास 17 जुलाई से एक अज्ञात स्थान पर अपने आश्रम में शुरू हुआ। पंकजप्रभु अपने चातुर्मास के दौरान चार माह तक एक ही स्थान पर विराजमान होकर अपने चैतन्य से अवचेतन को मथने में लगे रहेंगे। वे और संतों की तरह प्रवचन नहीं देते। उन्हें जो भी पात्र … Read more