संत राधे बाबा के निधन पर देहदान कर समाज को दी प्रेरणा
अरुण कुमार माथुर. जोधपुर
बाल्यकाल से ही सनातन धर्म के गुरुकुल में दीक्षा लेकर गृहस्थ जीवन को त्याग संत बन सनातन संस्कृति की अलख जगाने की मन मे चाह रखी युवा अवस्था मे आते आते गौसेवा में ऐसे लगे कि दिन रात गौसेवा गौशाला के लिए हर सम्भव प्रयास करना और गौमाता के लालन पालन का ध्यान रखना ही जीवन का परम कर्तव्य बना दिया । शहर के मसूरिया पहाड़ी पर भीड़ भंजन बालाजी आश्रम में रहने वाले सन्त राधे बाबा ने शनिवार को अपनी 75 वर्ष की आयु पूरी कर अंतिम सांस ली । अंतिम सांस ने पूर्व संत ने पीठाधीश्वर जगतगुरु वेदही वलभाचार्य महाराज को कहा कि मेरी इस काया को मिट्टी में मिलने से बेहतर अगर किसी को काम आ सके तो जीवन सार्थक होगा । इसलिए देह को चिकित्सा विज्ञान के लिए मेडिकल कॉलेज को दान कर समाज को नई दिशा मिलेगी तो सब का कल्याण होगा ।
जगतगुरु वेदही महाराज ने कहा कि आज सनातन धर्म मे लोग यह कहते हैं कि मरने के बाद अग्नि दाग होकर मिट्टी को मिट्टी में मिलने से ही मोक्ष प्राप्त होता है। लेकिन सत्य तो यह है कि मोक्ष व भगवत प्राप्त लोगो की भलाई व किसी भी रूप में किसी के काम आ जाए उसमे ही होती है ।
आज संत राधे बाबा ने जीवन भर गौसेवा कर पुण्य कमाया और लोगो को सनातन संस्कृति व गौसेवा से जोड़े रखा तो मरने के बाद मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को शोध के लिए देह का दान कर समाज को नवीन प्रेरणा देकर गए।
सन्त की अंतिम यात्रा भीड़ भंजन पर आश्रम से सुबह निकली जो मेडिकल कॉलेज में पहुँच दान के साथ सम्पन हुई ।
विहिप प्रान्त अध्यक्ष डॉ राम गोयल ने भी कहा कि आज के समय मे लोगो को इस कार्य मे जागरूकता लानी होगी यह भारत मे पहली बार एक संत ने देहदान की इसी से प्रेरणा लेकर लोग कर्रेंगे तो छात्रों को शिक्षा में मदद मिलेगी ।
इस दौरान विहिप के महेंद्र सिंह राजपुरोहित महेंद्र उपाध्याय बाबूलाल प्रजापत थान सिंह गजेंद्र सिंह मांगीलाल वैष्णव सुरेंद्र सोनी जितेंद्र सिंह रमेश भंसाली डॉ महावीर गोदारा डॉ तेजपाल भेरुदास सहित क्षेत्रवासी उपस्थित थे ।