हंसराज बारासा हंसा की दो गजलें
मन की नहीं कोई वेदना समझते दिल का सब धड़कना समझते मन की नही कोई वेदना समझते। दिल का धड़कना है तो जिंदा है ना धड़के तो उसका मरना समझते। इंसान है कि मन मसोसता रहता दुनिया वाले हैं कि भेद ना समझते। दिल किसी का करने पे नादानी लोग है उसे याद रखना समझते। … Read more