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नवरात्रि पर अरुण दिव्यांश की कविता

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माता शैलपुत्री

शुभ नवरात्रि के नवदिन में ,
माॅं आदिशक्ति के नौ रूप ।
हर दिवस का अलग महत्व ,
माॅं का हर रूप परम अनूप ।।
माता का होता प्रथम रूप ,
शैल की पुत्री शैलपुत्री माता ।
वृषभ वाहन होता है जिनकी ,
त्रिशुल हस्त अति है शोभा ।।
शैलपुत्री माता बहुत दयामयी ,
भक्तों हेतु बहुत हैं कल्याणी ।
ज्ञान बुद्धि बल विद्या संस्कृति ,
अरु अस्त्र लिए होती हैं पाणि ।।
भक्तों के होती हैं रक्षक माता ,
संकट से भक्तों का करें उद्धार ।
भक्त होते उनके बहुत ही प्रिय ,
भक्तों हेतु दुष्टों का करें संहार ।।
जय जय जय माता शैलपुत्री ,
हमारा नमन माता तू स्वीकार ।
सुख शांति वैभव झोली भर दो ,
तन मन से निकालो तू विकार ।।

अरुण दिव्यांश

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


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