Explore

Search
Close this search box.

Search

Sunday, October 6, 2024, 9:47 pm

Sunday, October 6, 2024, 9:47 pm

Search
Close this search box.
LATEST NEWS
Lifestyle

समुन्द्र गजब है थारौ धीजौ, थूं जीवणदाता-थूं पालनहार-कमल रंगा

Share This Post

राइजिंग भास्कर डॉट कॉम. बीकानेर

काव्य रंगत-शब्द संगत में प्रकृति पर केन्द्रित पांचवी कड़ी में उर्दू का मिठास, हिन्दी का सौन्दर्य और राजस्थानी की मठोठ शानदार रही। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ की ओर से अपनी मासिक साहित्यिक श्रृंखला ‘काव्य रंगत-शब्द संगत’ की पांचवीं कड़ी का भव्य आयोजन नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा की अध्यक्षता में हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि आज वैश्विक एवं बाजारवाद के दौर में मानव प्रकृति से कट रहा है, जबकि प्रकृति के सभी उपक्रम मानवीय जीवन और उसकी चेतना में अहम भूमिका निभाते है। वर्तमान में ऐसी जटिल स्थिति में प्रकृति पर केन्द्रित प्रति माह नव काव्य रचना का वाचन होना अपने आप में महत्वपूर्ण एवं सारगर्भित तो है ही साथ ही एक साहित्यिक घटना भी।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि डॉ. शंकरलाल स्वामी ने कहा कि ऐसे आयोजन मानव को प्रकृति से रूबरू तो कराते ही है और ऐसे आयोजन के माध्यम से समुन्द्र पर केन्द्रित रचनाओं से प्रकृति की विविध रंगों की सौरम से काव्य रसधारा का आस्वादन करना एक महत्वपूर्ण साहित्यिक अनुभव रहा। इसके लिए आयोजक एवं आयोजन संस्था निश्चित तौर से साधुवाद की पात्र तो है ही जो ऐसे नवाचार कर बीकानेर ही नहीं प्रदेश में एक अलग तरह का काव्य वातावरण निर्मित कर रही है। डॉ. शंकरलाल स्वामी ने अपनी नवीन चौपाईयों के माध्यम से समुन्द्र की खुबियों को साझा किया।

प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूक चौहान ने कार्यक्रम के महत्व बताते हुए अगली छठी कड़ी प्रकृति के महत्वपूर्ण अंग नदी पर केन्द्रित रहेगी। काव्य रंगत में समुन्द्र की सौरम और उसकी विभिन्न व्याख्या करते हुए कविता, गीत, हाइकू, गजल और चौपाई के माध्यम से शब्द की संगत में समुन्द्र के विभिन्न रूपों की रंगत कवि शायरों ने बिखेरी।
अपनी काव्य रचना की प्रस्तुति देते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी समुन्द्र पर केन्द्रित कविता में-समुन्द्र गजब है थारौ धीजौ/थूं जीवण दाता-थूं पालनहार…. प्रस्तुत कर समुन्द्र के वैभव को रेखांकित किया। वहीं वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने अपनी ताजा गजल के शेर- वो अपने आप को/फिर समझा किया समुन्द्र… इसी क्रम में वरिष्ठ कवयित्री इन्द्रा व्यास ने अपनी रचना-अनगिणत रत्न भरिया है सागर में……पेश की तो कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपने ताजा गीत में-नदियां इसमें आन समाय…पेश किया तो कवि कैलाश टॉक ने अपनी रचना में समुन्द्र के सकारात्मक पक्ष को पेश करते हुए-चंचल नदियों का प्यार लिए बैठा हूँ…..।

काव्य रंगत में वरिष्ठ कवि डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समुन्द्र के अनेक रंग व उपक्रमों को पेश करते हुए….खरी नदी खारो समुन्द्र…कविता पढ़ी। कवि विप्लव व्यास ने अपनी कविता में समुन्द्र को केन्द्र में रखकर कहा-नीं पडे़ली थारी पार…..तो वरिष्ठ कवि गिरिराज पारीक ने अपनी कविता के माध्यम से समुन्द्र के कई रंगों को सामने रखते हुए कहा-समुन्द्र अद्भुत है विशाल है…. पेश की। युवा कवि गंगाबिशन बिश्नोई ने अपनी ताजा रचना में-समुन्द्र और थार समुन्द्र को केन्द्र में रखकर कहा कि-तपते तावड़िये में….. पेश की। कवि डॉ. नृसिंह बिन्नाणी ने अपने समुन्द्र पर केन्द्रित नए हाइकू पेश कर-समुद्र की रंगत रखी तो कवि अब्दुल शकूर बीकाणवी ने अपने गीत के माध्यम से समुन्द्र की विशेषताएं रखी तो वहीं युवा कवि यशोवर्द्धन हर्ष ने अपने ताजा गीत के माध्यम से समुन्द्र की व्यापकता को रेखांकित किया। कार्यक्रम में पुनीत कुमार रंगा, जोधराज व्यास, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, भैरूरतन रंगा, हरिनारायण आचार्य, पुनीत कुमार रंगा, घनश्याम ओझा, अरूण व्यास, तोलाराम सारण, कार्तिक मोदी, अख्तर, सुनील व्यास सहित अनेक श्रोताओं ने समुन्द्र पर केन्द्रित रचनाओं का भरपूर आनंद लिया। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया एवं आभार युवा साहित्यनुरागी कुमारी अक्षिता व्यास ने ज्ञापित किया।

Rising Bhaskar
Author: Rising Bhaskar


Share This Post

Leave a Comment