पूर्व जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास की कविता
बादल की राह दिशा ने पूछा बादल से, किस और बरसने जाओगे बादल बोला संयम से, जहां राह बनेगी हवाओं से हवा ने पूछा कहां बहोगी, बोली जहां चमकेगी बिजली बोली बिजली सोचकर, मैं चमकूंगी प्यासी धरती पर जो अन्न नहीं उगाती है, अर्श को सच्ची राह दिखाकर में हंसती हूं इठलाती हूं, उमड़ घुमड़कर … Read more